जानिए 25 जनवरी 2024 पौष पूर्णिमा व्रत, गुरु पुष्य योग ,शुभ मुहूर्त Know about 25 January 2024 Paush Purnima fast, Guru Pushya Yoga, auspicious time
पौष पूर्णिमा व्रत
पौष पूर्णिमा व्रत भारतीय हिन्दू पर्व और व्रतों में से एक है, जो पौष मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भक्तगण इस दिन विशेष रूप से उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए व्रत करते हैं।पौष पूर्णिमा व्रत की मुख्य विशेषताएं और नियम:
- स्नान: व्रत के दिन सुबह उठकर शुद्धि के लिए स्नान किया जाता है। स्नान का महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि इससे शरीर की शुद्धि होती है और व्रत की सफलता में सहायक होती है।
- व्रत कथा श्रवण: पौष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की कथा और किस्से सुने जाते हैं। इससे भक्तों को भक्ति और ध्यान में लगाने में मदद मिलती है।
- विशेष भोजन: व्रती लोगों को विशेष भोजन करना चाहिए जिसमें सात्विक और प्राकृतिक आहार शामिल हो, और वे अन्न दान करके पुण्य का भी अंश बढ़ा सकते हैं।
- पूजा और आराधना: व्रती विशेष रूप से पूजा और आराधना करते हैं। विष्णु भगवान की मूर्ति या प्रतिमा को सजाकर पूजा की जाती है और मंत्र जप भी किया जाता है।
- दान और सेवा: व्रती लोगों को दान देना और सेवा करना भी बड़ा महत्वपूर्ण है। गरीबों और असहाय लोगों की सहायता करना व्रत को और भी पुण्यकर्मी बना सकता है।
- ब्रत उत्तर: व्रत के बाद ब्रत उत्तर किया जाता है जिसमें व्रती विष्णु भगवान के नाम का जप करके प्रशाद लेते हैं और फिर आम आहार लेते हैं।
- नींदा, आलस्य और क्रोध से बचाव: इस दिन को नींदा, आलस्य, और क्रोध से बचाव करने के लिए समर्थन माना जाता है। व्रती लोग इन बुरी आदतों से दूर रहकर शुभ और सत्कार्यों में लगे रहते हैं।
पूर्णिमा व्रत, गुरु
पूर्णिमा व्रत और गुरु व्रत दोनों ही हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण व्रत हैं। यह व्रत भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति की कामना करने के लिए किया जाता है।26 जनवरी 2024 शुक्रवार माघ माघ शुरू
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पूर्णिमा व्रत:
तिथि और महत्व: पूर्णिमा व्रत का मुख्य उद्देश्य पूर्णिमा तिथि को भगवान की पूजा करना है। इस दिन चंद्रमा पूर्ण रूप से दिखाई देता है, और यह व्रत सुख, शांति, और कल्याण की कामना के साथ किया जाता है।पूजा विधि: पूर्णिमा के दिन भगवान की मूर्ति या चंद्रमा की पूजा की जाती है। व्रती विशेष रूप से स्नान करते हैं, और फिर भगवान की पूजा करने के लिए समर्थन करते हैं।
कथा श्रवण: व्रती लोग पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से भगवान की कथा सुनते हैं जो धार्मिक शिक्षा और आदर्शों को सीखने में मदद करती है।
दान और पुण्य कार्य: पूर्णिमा के दिन दान और पुण्य के कार्यों को बढ़ावा दिया जाता है। व्रती लोग अन्न, वस्त्र, धन, आदि का दान करके पुण्य कमाते हैं।
गुरु व्रत:
तिथि और महत्व: गुरु व्रत गुरुवार को किया जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य गुरु की पूजा और शरणागति का व्रत रखना है। इससे भक्त गुरु के आदर्शों का पालन करते हैं और उनसे ज्ञान और मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।उपास्य देवता: गुरु व्रत में उपास्य देवता गुरु बृहस्पति होते हैं। भक्त उन्हें श्रद्धाभाव से पूजते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
पूजा विधि: गुरु व्रत में विशेष रूप से गुरु मंत्रों का जप किया जाता है और उपास्य देवता की पूजा की जाती है। गुरु व्रती लोग स्नान करते हैं और पूजा के बाद प्रशाद बाँटते हैं।
गुरु की कथा: गुरु व्रत के दिन गुरु की कथा और किस्से सुने जाते हैं जो शिक्षा और आदर्शों से भरपूर होते हैं।
आचरण और नियम: गुरु व्रत के दिन व्रती लोग नियमित और शिक्षानुसार आचरण करते हैं, जिससे उनका बुद्धि, आचार, और आदर्श में सुधार होता है।
ये दोनों ही व्रत धार्मिक उन्नति के लिए बहुत सारे लाभ प्रदान करते हैं और भक्तों को धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं
पूर्णिमा पुष्य योग
"पूर्णिमा पुष्य योग" एक हिन्दी पंचांग (हिन्दी कैलेंडर) शब्द है जो ज्योतिष और धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त होता है। यह शब्द दो अलग-अलग भागों से मिलकर बना है:- पूर्णिमा (Purnima):"पूर्णिमा" का अर्थ होता है पूर्ण चंद्रमा, जिसमें चंद्रमा पूरी तरह से दिखाई देता है और रात को सम्पूर्ण चन्द्रमा दृश्यमान होता है। हिन्दू पंचांग में, पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण तिथि है जब लोग पूजा, व्रत, और धार्मिक अनुष्ठानों को आचरण करते हैं।
- पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshatra): "पुष्य" एक नक्षत्र है जो आधुनिक व्याख्यान में कर्क राशि में स्थित है। पुष्य नक्षत्र भगवान बृहस्पति (गुरु ग्रह) को समर्पित है और इसे शुभ माना जाता है।
- पूर्णिमा पुष्य योग का महत्व: इस योग के दिन विशेष रूप से व्रत, पूजा, और धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं।यह योग अच्छे कर्मों के लिए शुभ होता है और विभिन्न प्रकार की सिद्धियों के लिए अनुकूल होता है।
इस योग के दिन जन्मलेने वाले व्यक्तियों को आपसी सम्बन्धों में सुख और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। यह भी ध्यान और धार्मिक साधना के लिए अच्छा समय होता है।
पौष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
पौष शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भः-24 जनवरी रात्रि 09ः49 मिनट से ।पौष शुक्ल पूर्णिमा समाप्तः- 25 जनवरी रात्रि 11ः23 मिनट तक।
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