दुर्गा अष्टमीप्रार्थना ध्यान विशेषताएँ आराधना के लाभ Durga Ashtami Prayer Meditation Features Benefits of Worship
महागौरी: महाअष्टमी पर पूजा की जाने वाली दुर्गा का रूप
महागौरी, देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक है जो नवरात्रि के अष्टमी तिथि को पूजी जाती है। इस दिन देवी दुर्गा का यह स्वरूप पूजा जाता है और इसे महागौरी कहा जाता है।महागौरी देवी का चित्रण साफ़ सफ़ेद वस्त्रों में किया जाता है और उसकी सारी शरीर धारणा में होती है। इस रूप में मां दुर्गा का चेहरा भी बहुत ही कोमल और प्रेमभरा होता है।
महागौरी का ध्यान और पूजा का मुहूर्त नवरात्रि के अष्टमी तिथि को होता है। भक्त इस दिन महागौरी देवी की पूजा करते हैं और उनसे शक्ति, सौभाग्य, और सुख की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
महागौरी का नाम "महा" और "गौरी" से आता है, जिसका अर्थ होता है "महत्त्वपूर्ण और साफ़ सफ़ेद"। इस रूप की पूजा का मार्गदर्शन माता पार्वती के पुत्र श्रीकृष्ण ने किया था। इस रूप की पूजा से भक्त शुभ फल, पवित्रता और मानव जीवन में स्थिरता प्राप्त करते हैं।
21 जनवरी 2024 रविवार पौष पुत्रदा एकादशी
प्रार्थना:
श्वेतेवृषेसमारूढ़ाश्वेताम्बरधरशुचिः।
महागौरीशुभमदाद्यन्महादेवप्रमोददा॥
अनुवाद:
श्वेत गज की सवारी पर सवार, श्वेत वस्त्र धारी, शुद्ध स्वरूपवाली,
महागौरी, जो शुभ प्रदान करती है, महादेव के प्रमोद का कारण है।
इस प्रार्थना के माध्यम से भक्त दुर्गा अष्टमी पर माता महागौरी की कृपा, आशीर्वाद, और प्रसन्नता के लिए प्रार्थना करता है। यह प्रार्थना माता के शुद्ध और दिव्य स्वरूप की महत्वपूर्णता को बयान करती है।
ध्यान:
वन्देवञ्चितकामर्थेचन्द्रार्धकृतशेखरम्।
सिंहरूढ़ाचतुर्भुजमहागौरीयशस्विनीम्॥
पूर्णन्दुनिभं गौरी सोमचक्रस्थितम्अष्टममहागौरीत्रिनेत्रम्।
वरभितिकारमत्रिशूलदमरुधरममहागौरीभजेम॥
पतंबरपरिधानमृदुहास्यनानलंकारभूषितम्।
मंजीरा, हारा, केयूरा, किंकिनी, रत्नकुंडलामंडितम्॥
प्रफुल्लवंदनापल्लवधर्मकांतकपोलमत्रैलोक्यमोहनम्।
कामनीयम लावण्यमृणालमचंदनगंधालिप्तम्॥
अनुवाद:
मैं प्रणाम करता हूं उस महागौरी को, जिन्होंने चंद्रमा को अपने अर्धकपाल में धारण किया है।
वह चार भुजाओं वाली हैं, उन्होंने सिंह को अपने वाहन पर बैठाया है और वह बहुतेजस्विनी हैं॥
उनका पूर्ण चंद्रमा जैसा मुख है, जिनकी आँखें सोमचक्र में स्थित हैं,
उनकी अष्टमी तिथि पर उनकी त्रिनेत्रा पूर्ण चंद्रमा की भाँति हैं, और वह त्रिशूल, डमरु, और कपाल हैं॥
उनकी पत्नी गौरी का वस्त्र भूसा का है, और उनके शरीर पर आभूषण सुन्दर हैं।
उनके पति शिव द्वारा पहने गए पतंग वस्त्र के साथ उनकी पूर्णता है, और उनके बाल और मुख पर अलंकार भी हैं।
उनकी कलाएं, मणियाँ, हार, कंगन, केयूर, और रत्नों से युक्त हैं।
वे प्रपंच को मोहित करने वाली, त्रैलोक्य को शांति प्रदान करने वाली हैं, और वे बहुत सुंदर हैं, मृणालमयी और चंदनगंध से लिपटी हुई हैं॥
इस ध्यान से भक्त माता महागौरी की पूजा और आराधना करता है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करता है।
महागौरी की विशेषताएँ:-
वस्त्र और आभूषण:
महागौरी का वस्त्र सफेद और उज्ज्वल होता है, जिससे उनका रूप और भी चमकता है। उन्हें चाँद्रमा के समान श्वेत वस्त्र से सजा होता है।
आभूषण:
महागौरी देवी चाँदन के हार, कंठहार, कंठसूत्र, हाथों में चांदन के कंगन और सुवर्ण की मुकुट सहित विभिन्न प्रकार के आभूषणों से सजीवित होती हैं।
मुद्रा:
महागौरी अपने दोनों हाथों में चांदी की कड़ीयों के साथ वरद हस्तमुद्रा का दर्शन कराती हैं, जो शुभ का प्रतीक है।
वाहन:
उनका वाहन श्वेत गज (हाथी) होता है, जो पवित्रता और सत्य का प्रतीक है।
श्वेतेश्वर मंदिर:
महागौरी की पूजा का स्थान है श्वेतेश्वर मंदिर, जो केदारनाथ क्षेत्र में स्थित है। इसी स्थान पर महागौरी देवी का वास बताया जाता है।
महागौरी देवी का रूप सुंदरता, पवित्रता, और शान्ति का प्रतीक है और उनकी पूजा से भक्तों को शुभ और सत्कार्यों की प्राप्ति होती है। उनकी आराधना से भक्तों को शुद्ध और पवित्र मार्ग का प्रदर्शन होता है।
माता दुर्गा के आठवें स्वरूप "महागौरी" का मंत्र:
ॐ देवी महागौर्यै नमः
मंत्र का अर्थ:
"ॐ देवी महागौर्यै नमः" का अर्थ होता है "मैं माता महागौरी को प्रणाम करता हूँ"।
महागौरी माता के आराधना के लाभ:-
माता महागौरी की पूजा से भक्तों को शांति, सौभाग्य, और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
इस मंत्र का जाप करने से भक्त असुरों और बुराई से मुक्त होकर शुभता की प्राप्ति करते हैं।
माता महागौरी की कृपा से भक्तों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है।
इस मंत्र का नियमित जाप करने से भक्त आत्मा के ऊँचाइयों को प्राप्त करते हैं और धार्मिक उन्नति होती है।
दुर्गा अष्टमी पर इस मंत्र का जाप करने से भक्त माता महागौरी की कृपा को प्राप्त करता है और उनके आशीर्वाद से जीवन को सफलता, शांति, और सुख-शांति से भर देता है।
दुर्गा अष्टमीप्रार्थना
यह प्रार्थना माता महागौरी की प्रशंसा और आराधना के लिए है। इस प्रार्थना के माध्यम से भक्त माता के शक्तिशाली और शुद्ध स्वरूप की प्रशंसा करता है।प्रार्थना:
श्वेतेवृषेसमारूढ़ाश्वेताम्बरधरशुचिः।
महागौरीशुभमदाद्यन्महादेवप्रमोददा॥
अनुवाद:
श्वेत गज की सवारी पर सवार, श्वेत वस्त्र धारी, शुद्ध स्वरूपवाली,
महागौरी, जो शुभ प्रदान करती है, महादेव के प्रमोद का कारण है।
इस प्रार्थना के माध्यम से भक्त दुर्गा अष्टमी पर माता महागौरी की कृपा, आशीर्वाद, और प्रसन्नता के लिए प्रार्थना करता है। यह प्रार्थना माता के शुद्ध और दिव्य स्वरूप की महत्वपूर्णता को बयान करती है।
दुर्गा अष्टमीध्यान
यह ध्यान दुर्गा अष्टमी के अवसर पर माँ महागौरी की आराधना और समर्पण के लिए है। इस ध्यान में दुर्गा माता के सुंदर और महाशक्तिशाली स्वरूप की महिमा का वर्णन है।ध्यान:
वन्देवञ्चितकामर्थेचन्द्रार्धकृतशेखरम्।
सिंहरूढ़ाचतुर्भुजमहागौरीयशस्विनीम्॥
पूर्णन्दुनिभं गौरी सोमचक्रस्थितम्अष्टममहागौरीत्रिनेत्रम्।
वरभितिकारमत्रिशूलदमरुधरममहागौरीभजेम॥
पतंबरपरिधानमृदुहास्यनानलंकारभूषितम्।
मंजीरा, हारा, केयूरा, किंकिनी, रत्नकुंडलामंडितम्॥
प्रफुल्लवंदनापल्लवधर्मकांतकपोलमत्रैलोक्यमोहनम्।
कामनीयम लावण्यमृणालमचंदनगंधालिप्तम्॥
अनुवाद:
मैं प्रणाम करता हूं उस महागौरी को, जिन्होंने चंद्रमा को अपने अर्धकपाल में धारण किया है।
वह चार भुजाओं वाली हैं, उन्होंने सिंह को अपने वाहन पर बैठाया है और वह बहुतेजस्विनी हैं॥
उनका पूर्ण चंद्रमा जैसा मुख है, जिनकी आँखें सोमचक्र में स्थित हैं,
उनकी अष्टमी तिथि पर उनकी त्रिनेत्रा पूर्ण चंद्रमा की भाँति हैं, और वह त्रिशूल, डमरु, और कपाल हैं॥
उनकी पत्नी गौरी का वस्त्र भूसा का है, और उनके शरीर पर आभूषण सुन्दर हैं।
उनके पति शिव द्वारा पहने गए पतंग वस्त्र के साथ उनकी पूर्णता है, और उनके बाल और मुख पर अलंकार भी हैं।
उनकी कलाएं, मणियाँ, हार, कंगन, केयूर, और रत्नों से युक्त हैं।
वे प्रपंच को मोहित करने वाली, त्रैलोक्य को शांति प्रदान करने वाली हैं, और वे बहुत सुंदर हैं, मृणालमयी और चंदनगंध से लिपटी हुई हैं॥
इस ध्यान से भक्त माता महागौरी की पूजा और आराधना करता है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करता है।
महागौरी की विशेषताएँ
महागौरी, दुर्गा अष्टमी के आठवें और आखिरी दिन की देवी, एक अत्यंत सुंदर और शानदार स्वरूप हैं। उन्हें "महागौरी" कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है "महान और शुद्ध व्यक्ति"। इस रूप में माँ दुर्गा की कांचन सी सुंदरता है, जो उन्हें अत्यंत दिव्य और पवित्र बनाती है।महागौरी की विशेषताएँ:-
वस्त्र और आभूषण:
महागौरी का वस्त्र सफेद और उज्ज्वल होता है, जिससे उनका रूप और भी चमकता है। उन्हें चाँद्रमा के समान श्वेत वस्त्र से सजा होता है।
आभूषण:
महागौरी देवी चाँदन के हार, कंठहार, कंठसूत्र, हाथों में चांदन के कंगन और सुवर्ण की मुकुट सहित विभिन्न प्रकार के आभूषणों से सजीवित होती हैं।
मुद्रा:
महागौरी अपने दोनों हाथों में चांदी की कड़ीयों के साथ वरद हस्तमुद्रा का दर्शन कराती हैं, जो शुभ का प्रतीक है।
वाहन:
उनका वाहन श्वेत गज (हाथी) होता है, जो पवित्रता और सत्य का प्रतीक है।
श्वेतेश्वर मंदिर:
महागौरी की पूजा का स्थान है श्वेतेश्वर मंदिर, जो केदारनाथ क्षेत्र में स्थित है। इसी स्थान पर महागौरी देवी का वास बताया जाता है।
महागौरी देवी का रूप सुंदरता, पवित्रता, और शान्ति का प्रतीक है और उनकी पूजा से भक्तों को शुभ और सत्कार्यों की प्राप्ति होती है। उनकी आराधना से भक्तों को शुद्ध और पवित्र मार्ग का प्रदर्शन होता है।
महागौरी माता के आराधना के लाभ
माता दुर्गा की पूजा के समय उनके विभिन्न स्वरूपों की आराधना के लिए कई मंत्रों का जाप किया जाता है। "ॐ देवी महागौर्यै नमः" एक महत्वपूर्ण मंत्र है जो माता दुर्गा के आठवें स्वरूप, जिसे महागौरी कहा जाता है, की पूजा के लिए उपयुक्त है।माता दुर्गा के आठवें स्वरूप "महागौरी" का मंत्र:
ॐ देवी महागौर्यै नमः
मंत्र का अर्थ:
"ॐ देवी महागौर्यै नमः" का अर्थ होता है "मैं माता महागौरी को प्रणाम करता हूँ"।
महागौरी माता के आराधना के लाभ:-
माता महागौरी की पूजा से भक्तों को शांति, सौभाग्य, और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
इस मंत्र का जाप करने से भक्त असुरों और बुराई से मुक्त होकर शुभता की प्राप्ति करते हैं।
माता महागौरी की कृपा से भक्तों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है।
इस मंत्र का नियमित जाप करने से भक्त आत्मा के ऊँचाइयों को प्राप्त करते हैं और धार्मिक उन्नति होती है।
दुर्गा अष्टमी पर इस मंत्र का जाप करने से भक्त माता महागौरी की कृपा को प्राप्त करता है और उनके आशीर्वाद से जीवन को सफलता, शांति, और सुख-शांति से भर देता है।
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