श्री गणेश स्तुति - ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्

श्री गणेश स्तुति - ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्

ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम् |
उमासुतम् शोक विनाश कारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम् ||
"ॐ, जो गजानन हैं, जिनका भूषण गणेश जी के द्वारा पहना गया है, जो कपित्थ और जाम्बू फलों को अपने आहार में शामिल करते हैं। जो भगवान शिव के पुत्र हैं और जो सभी शोकों का नाश करने वाले हैं। मैं उन विघ्नेश्वर के पादपंकज की पूजा करता हूँ॥"

श्री गणेश स्तुति Shri Ganesha Stuti

गाइये गणपति जगवंदन |
शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥
"गणपति की स्तुति करो, जो भगवान शंकर (शिव) 
के पुत्र और भवानी (पार्वती) के नंदन (पुत्र) हैं।"
सिद्धी सदन गजवदन विनायक |
कृपा सिंधु सुंदर सब लायक़ ॥
"सिद्धि का सागर, गजवदन, विनायक, 
कृपा का सागर, सुंदरता में सबका आदरनीय।"
मोदक प्रिय मृद मंगल दाता |
विद्या बारिधि बुद्धि विधाता ॥
"मोदक प्रिय, मृदु, मंगल दाता, विद्या के सागर, 
बुद्धि का निर्माता॥"
मांगत तुलसीदास कर ज़ोरे |
बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥
अपनी मांग तुलसीदास जी से करो, 
क्योंकि मैं राम के भक्त हूं और उनका मन मेरे प्रति है।

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