श्री गणेश मंत्र - वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ

श्री गणेश मंत्र - वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ

क्रतुण्ड महाकाय" एक प्रसिद्ध गणेश मंत्र है जो गणपति बप्पा की पूजा और अर्चना में उपयोग होता है। इस मंत्र का पाठ गणेश जी की आराधना और स्तुति के लिए किया जाता है।

श्री गणेश के कई मंत्र प्रसिद्ध हैं लेकिन एक खास मंत्र जो श्री गणेश जी सबसे प्रसिद्ध मंत्र है। इस मंत्र उच्चारण करने से भगवान को प्रसन्न करने का आसान मार्ग माना गया है। ये मंत्र है वक्रतुंड महाकाय इस मंत्र में श्री गणेश जी के भव्य रूप के बारे में बताते हुए उनसे हमेशा कृपा बरसाने की प्रार्थना की जाती है। इस मंत्र को बेहद प्रभावशाली माना जाता है। इस मंत्र इतना प्रसिद्ध का कि हिन्दू धर्म में शादी के कार्ड में सबसे पहले इस मंत्र को लिखा जाता है। ऐसा कहा जा सकता है कि कोई भी शुभ कार्य करने से पहले इसी मंत्र उच्चारण किया जाता है।


वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ: ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

वक्रतुण्ड महाकाय मंत्र का हिंदी अर्थ:

"वक्रतुण्ड (वक्र = वक्रता + उण्ड) और महाकाय (महत् + काय) - जिनका शरीर बहुत बड़ा है, जिसकी आकृति विकृत है। सूर्यकोटि समप्रभ - जिनकी ज्यों कि सूर्य की किरणें हैं और जो अत्यन्त भयंकर है। निर्विघ्नं कुरु मे देव - हे देव, मेरे सभी कार्यों में बाधा नष्ट करो। सर्वकार्येषु सर्वदा - सभी कार्यों में हमेशा।"
जिनका मुंह घुमावदार है। जिनका शरीर विशाल है, जो अपने भक्तजनों के पाप को तुरंत हर लेते है, जो करोड़ों सूर्य के समान तेजस्वी हैं, जो ज्ञान का प्रकाश चारों ओर फैला सकते हैं, जो सभी कार्यों में होने वाले बाधाओं को दूर कर सकते है, वैसे प्रभु आप मेरे सभी कार्यों की बाधाओं को शीघ्र दूर करें। आप मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि सदैव बनाए रखें।

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