राम जन्मभूमि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अयोध्या विवाद पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय

राम जन्मभूमि सुप्रीम कोर्ट का फैसला

अयोध्या विवाद पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय

राम मंदिर अयोध्या
अयोध्या में राम जी का महत्वपूर्ण मंदिर स्थित है। जो भारत के एक राज्य उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में स्थित है यह हिंदुओं की मान्यताओं के अनुसार बहुत ही महत्वपूर्ण और पूजन मंदिर है, जो पूर्ण रूप से राम भगवान को समर्पित है। हिंदुओं के अनुसार यहां पर राम भगवान का जन्म हुआ था, तथा अयोध्या में राम जी का जन्म हुआ था। 
अयोध्या के राम मंदिर का निर्माण मौजूदा गैर इस्लामिक ढांचे को गिरकर किया गया है।  इससे पहले भारत के सुप्रीम कोर्ट ने  2019 में विवादित भूमि पर मंदिर बनाने का आदेश पारित किया था। जिसमें कहा गया है कि यह भूमि पूर्ण रूप से हिंदुओं की है, तथा इनमें हिंदुओं को राम मंदिर बनाने का अधिकार पूर्ण रूप से है, जिस हिंदू समाज के लोग बहुत ही उत्साहित और गौरवंतित हुए हैं। इसके बाद मुसलमान के लिए अयोध्या में ही दूसरी जगह पर मस्जिद बनाने के लिए अलग से जमीन का आवंटन किया गया था। जिसमें मुस्लिम समाज अपने मस्जिद का निर्माण बिना किसी विवाद के कर सकते हैं। । सुप्रीम कोर्ट ने अपना मंदिर बनाने का आदेश देने से पहले भारतीय पुरातत्व विभाग के साक्ष का हवाला दिया है, कि गिरे हुई मस्जिद के नीचे मौजूद हिंदू मंदिर के कुछ अवशेष मिले हैं। जिससे यह सिद्ध होता है कि यहां पर मस्जिद बनाने से पहले हिंदू मंदिर था।
Ram Janmabhoomi Supreme Court's decision 

उच्चतम न्यायालय का निर्णय 

अयोध्या विवाद जो कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित था, उसका निर्णय पाँच जजों की मुख्य न्यायाधीश रजंन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा ९ नवंबर २०१९ को दिया गया।[ इसके अन्तर्गत उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने शिया वक्फ बोर्ड, और निर्मोही अखाड़ा की याचिका को खारिज कर दिया, एवं सून्नी वक्फ बोर्ड को वाद लगाने का अधिकारी नहीं माना गया। तत्पश्चात सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने 5-0 से एकमत होकर विवादित स्थल को मंदिर का स्थल मानते हुए, फैसला रामलला के पक्ष में सुनाया। इसके अंतर्गत विवादित भूमि को राम जन्मभूमि माना गया और मस्जिद के लिये अयोध्या में 5 एकड़ ज़मीन देने का आदेश सरकार को दिया। अब वहां पर भव्य श्री राम मंदिर निर्माण होगा 

अयोध्या विवाद इतिहास

  • मुग़ल शासक बाबर 1526 में भारत आया। 1528 तक वह अवध वर्तमान अयोध्या तक पहुँच गया। बाबर के सेनापति मीर बाकी ने 1528-29 में एक मस्जिद का निर्माण कराया था।
  • 134 साल पुराने अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद पर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। इसके तहत अयोध्या की 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बने और इसकी योजना तैयार की जाए। चीफ जस्टिस ने मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दिए जाने का फैसला सुनाया, जो कि विवादित जमीन की करीब दोगुना है। चीफ जस्टिस ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है और हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है।
  • 6 अगस्त से 16 अक्टूबर तक इस मामले पर 40 दिनसुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।संविधान पीठ द्वारा शनिवार को45 मिनट तक पढ़े गए 1045 पन्नों के फैसले ने देश के इतिहास के सबसे अहम और एक सदी से ज्यादा पुराने विवाद का अंत कर दिया। चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस एसए बोबोडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पीठ ने स्पष्ट किया कि मंदिर को अहम स्थान पर ही बनाया जाए। रामलला विराजमान को दी गई विवादित जमीन का स्वामित्व केंद्र सरकार के रिसीवर के पास रहेगा।
पहले वाले को पड़ने के लिए क्लिक करे- मंदिर को मस्जिद के रूप में बदल दिया गया। 

सुप्रीम कोर्ट का फैसले के मुख्य बिंदु

  • रामलला विराजमान/मंदिर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा राम जन्मभूमि स्थान न्यायिक व्यक्ति नहीं है, जबकि भगवान राम न्यायिक व्यक्ति हो सकते हैं। ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है, हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है। विवादित 2.77 एकड़ जमीन रामलला विराजमान को दी जाए। इसका स्वामित्व केंद्र सरकार के रिसीवर के पास रहेगा। 3 महीने के भीतर ट्रस्ट का गठन कर मंदिर निर्माण की योजना बनाई जाए।
  • सुन्नी वक्फ बोर्ड अदालत ने कहा उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित जमीन पर अपना दावा साबित करने में विफल रहा। मस्जिद में इबादत में व्यवधान के बावजूद साक्ष्य यह बताते हैं कि प्रार्थना पूरी तरह से कभी बंद नहीं हुई। मुस्लिमों ने ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया, जो यह दर्शाता हो कि वे 1857 से पहले मस्जिद पर पूरा अधिकार रखते थे।
  • बाबरी मस्जिद सुप्रीम कोर्ट ने कहा "मीर बकी ने बाबरी मस्जिद बनवाई। धर्मशास्त्र में प्रवेश करना अदालत के लिए उचित नहीं होगा। बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। मस्जिद के नीचे जो ढांचा था, वह इस्लामिक ढांचा नहीं था।"
  • बाबरी विध्वंस सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एकदम स्पष्ट है कि 16वीं शताब्दी का तीन गुंबदों वाला ढांचा हिंदू कारसेवकों ने ढहाया था, जो वहां राम मंदिर बनाना चाहते थे। यह ऐसी गलती थी, जिसे सुधारा जाना चाहिए था।
  • नई मस्जिद सुप्रीम कोर्ट ने कहा अदालत अगर उन मुस्लिमों के दावे को नजरंदाज कर देती है, जिन्हें मस्जिद के ढांचे से पृथक कर दिया गया तो न्याय की जीत नहीं होगी। इसे कानून के हिसाब से चलने के लिए प्रतिबद्ध धर्मनिरपेक्ष देश में लागू नहीं किया जा सकता। गलती को सुधारने के लिए केंद्र पवित्र अयोध्या की अहम जगह पर मस्जिद के निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन दे।

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