सुप्रीम कोर्ट का फैसला के मुख्य बिंदु
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
धर्म और आस्था सुप्रीम कोर्ट ने कहा अदालत को धर्म और श्रद्धालुओं की आस्था को स्वीकार करना चाहिए। अदालत को संतुलन बनाए रखना चाहिए। हिंदू इस स्थान को भगवान राम का जन्मस्थान मानते हैं। मुस्लिम भी विवादित जगह के बारे में यही कहते हैं। प्राचीन यात्रियों द्वारा लिखी किताबें और प्राचीन ग्रंथ दर्शाते हैं कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि रही है। ऐतिहासिक उद्धहरणों से संकेत मिलते हैं कि हिंदुओं की आस्था में अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि रही है।"
ए.एस.आई. की रिपोर्ट कहा मस्जिद के नीचे जो ढांचा था, वह इस्लामिक ढांचा नहीं था। ढहाए गए ढांचे के नीचे एक मंदिर था, इस तथ्य की पुष्टि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) कर चुका है। पुरातात्विक प्रमाणों को महज एक ओपिनियन करार दे देना ए.एस.आई. का अपमान होगा। हालांकि, एएसआई ने यह तथ्य स्थापित नहीं किया कि मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई।'
निर्णय के संकेतक सुप्रीम कोर्ट ने कहा सीता रसोई, राम चबूतरा और भंडार गृह की मौजूदगी इस स्थान की धार्मिक वास्तविकता के सबूत हैं। हालांकि, आस्था और विश्वास के आधार पर मालिकाना हक तय नहीं किया जा सकता है। यह केवल विवाद के निपटारे के संकेतक।"
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Main points of the Supreme Court's decision:
राम जन्मभूमि विवाद का संक्षिप्त इतिहास
- १९९६ में राम जन्मभूमि न्यास ने केंद्र सरकार से यह जमीन मांगी लेकिन मांग ठुकरा दी गयी। इसके बाद न्यास ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसे १९९७ में कोर्ट ने भी ख़ारिज कर दिया।
- २००२ में जब गैर-विवादित जमीन पर कुछ गतिविधियां हुई तो असलम भूरे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई।
- २००३ में इस पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि विवादित और गैर-विवादित जमीन को अलग करके नहीं देखा जा सकता।
- ३० जून २००९ को लिब्रहान आयोग ने चार भागों में ७०० पन्नों की रिपोर्ट प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह और गृह मंत्री पी. चिदम्बरम को सौंपा।
- जांच आयोग का कार्यकाल ४८ बार बढ़ाया गया।
- ३१ मार्च २००९ को समाप्त हुए लिब्रहान आयोग का कार्यकाल को अंतिम बार तीन महीने अर्थात् ३० जून तक के लिए बढ़ा गया।
- २०१० में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने निर्णय सुनाया जिसमें विवादित भूमि को रामजन्मभूमि घोषित किया गया। न्यायालय ने बहुमत से निर्णय दिया कि विवादित भूमि जिसे रामजन्मभूमि माना जाता रहा है, उसे हिंदू गुटों को दे दिया जाए। न्यायालय ने यह भी कहा कि वहाँ से रामलला की प्रतिमा को नहीं हटाया जाएगा। न्यायालय ने यह भी पाया कि चूंकि सीता रसोई और राम चबूतरा आदि कुछ भागों पर निर्मोही अखाड़े का भी कब्ज़ा रहा है इसलिए यह हिस्सा निर्माही अखाड़े के पास ही रहेगा। दो न्यायधीधों ने यह निर्णय भी दिया कि इस भूमि के कुछ भागों पर मुसलमान प्रार्थना करते रहे हैं इसलिए विवादित भूमि का एक तिहाई हिस्सा मुसलमान गुटों दे दिया जाए। लेकिन हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों ने इस निर्णय को मानने से अस्वीकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
- उच्चतम न्यायालय ने ७ वर्ष बाद निर्णय लिया कि ११ अगस्त २०१७ से तीन न्यायधीशों की पीठ इस विवाद की सुनवाई प्रतिदिन करेगी। सुनवाई से ठीक पहले शिया वक्फ बोर्ड ने न्यायालय में याचिका लगाकर विवाद में पक्षकार होने का दावा किया और ७० वर्ष बाद ३० मार्च १९४६ के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी जिसमें मस्जिद को सुन्नी वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति घोषित अर दिया गया था।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि ५ दिसंबर २०१७ से इस मामले की अंतिम सुनवाई शुरू की जाएगी।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि ५ फरवरी २०१८ से इस मामले की अंतिम सुनवाई शुरू की जाएगी।
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अयोध्या राम मंदिर का निर्माण
- राम मंदिर अयोध्या को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ने मार्च 2020 में श्री राम मन्दिर के निर्माण का पहला चरण शुरू किया। हालाँकि, भारत में COVID-19 महामारी लॉकडाउन के बाद 2020 चीन-भारत विवाद ने निर्माण को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया।
- निर्माण स्थल के समतल और खुदाई के दौरान एक शिवलिंग, खम्भे और टूटी हुई मूर्तियाँ मिलीं। और 25 मार्च 2020 को भगवान राम की मूर्ति को उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में एक अस्थायी रूप विराजमान किया गया।
- राम मंदिर अयोध्या के निर्माण की तैयारी में, विश्व हिन्दू परिषद ने एक विजय महामन्त्र जाप का आयोजन किया, जिसमें 6 अप्रैल 2020 को विजय महामंत्र, श्री राम, जय राम, जय जय राम का जाप करने के लिए अलग-अलग स्थानों पर लोग एकत्रित हुए थे। यह राम मन्दिर के निर्माण में "बाधाओं पर विजय" होने के लिए किया गया था।
- लार्सन एंड टूब्रो ( L&T )ने राम मंदिर अयोध्या के डिजाइन और निर्माण की नि:शुल्क काम करने की पेशकश की और वह इस परियोजना के ठेकेदार हैं।
- राम मंदिर अयोध्या बनाने के लिए केन्द्रीय भवन अनुसन्धान संस्थान, राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसन्धान संस्थान और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (जैसे बॉम्बे, गुवाहाटी और मद्रास) मिट्टी परीक्षण, कङ्क्रीट और डिजाइन बनाने में बहुत ही सहायता की है।
- रिपोर्टें सामने आईं है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सरयू की एक धारा की पहचान की थी जो मंदिर के नीचे बहती है।
- अयोध्या के राम मंदिर को बनाने के लिए राजस्थान से आए 600 हजार क्यूबिक फीट बलुआ पत्थर बंसी पर्वत पत्थरों से निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा।
अयोध्या में किसका मंदिर है
अयोध्या में हिंदू मान्यताओं के अनुसार राम भगवान का जन्म हुआ था। जहां पर भगवान राम लाल का बाल अवतार का मंदिर मौजूद है।
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