राजा दशरथ की तीन महारानि कौशल्या,सुमित्रा,कैकेयी के बारे में और कौशल्या की पुत्री जानिए

राजा दशरथ की तीन महारानि 

कौशल्या,सुमित्रा,कैकेयी के बारे में और सुमित्रा और कैकेयी में से कौशल्या ने श्री राम को जन्म देने से पहले एक पुत्री को जन्म दिया था जिसका नाम शांता था।

कौशल्या के बारे में 

कौशल्या रामायण की एक प्रमुख पात्र हैं। वे कौशल प्रदेश (छत्तीसगढ़) की राजकुमारी तथा अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी और देव माता अदिति का अवतार थीं। माता कौशल्या का जन्म वर्तमान छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के चंदखुरी नामक ग्राम में हुआ था, कौशल्या माता का एकमात्र मंदिर यहीं चंदखुरी में स्थित है जहां माता कौशल्या बाल स्वरूप श्री राम को गोद में लिए हुए हैं। कौशल्या को राम की माता होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
संबंध         अयोध्या
अनुदान          रामन
अभिभावक       सुकौशल (पिता) अमृतप्रभा (माँ)
भाई-बहन            वर्षिनी (बहन)
बातचीत करना       अन्तिम
बच्चा           राम (पुत्र) शांता (पुत्री)
राजवंश         रघुवंश - सूर्यवंश (विवाह द्वारा)

दशरथ की पत्नी सुमित्रा

सुमित्रा रामायण की प्रमुख पात्र और राजा दशरथ की तीन महारानियों में से एक हैं। सुमित्रा अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी तथा लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न की माता थीं। महारानी कौशल्या पट्टमहिषी थीं। महारानी कैकेयी महाराज को सर्वाधिक प्रिय थीं और शेष में श्री सुमित्रा जी ही प्रधान थीं। महाराज दशरथ प्राय: कैकेयी के महल में ही रहा करते थे। सुमित्रा जी महारानी कौशल्या के सन्निकट रहना तथा उनकी सेवा करना अपना धर्म समझती थीं। पुत्रेष्टि-यज्ञ समाप्त होने पर अग्नि के द्वारा प्राप्त चरू का आधा भाग तो महाराज ने कौशल्या जी को दिया शेष का आधा कैकेयी को प्राप्त हुआ। चतुर्थांश जो शेष था, उसके दो भाग करके महाराज ने एक भाग कौशल्या तथा दूसरा कैकेयी के हाथों पर रख दिया। दोनों रानियों ने उसे सुमित्रा जी को प्रदान किया। समय पर माता सुमित्रा ने दो पुत्रों को जन्म दिया। कौशल्या जी के दिये भाग के प्रभाव से लक्ष्मण जी श्रीराम के और कैकेयी जी द्वारा दिये गये भाग के प्रभाव से शत्रुघ्न जी भरत जी के अनुगामी हुए। वैसे चारों कुमारों को रात्रि में निद्रा माता सुमित्रा ही कराती थीं। अनेक बार माता कौशल्या श्री राम को अपने पास सुला लेतीं। रात्रि में जगने पर वे रोने लगते। माता रात्रि में ही सुमित्रा के भवन में पहुँचकर कहतीं- 'सुमित्रा! अपने राम को लो। इन्हें तुम्हारी गोद के बिना निद्रा ही नहीं आती देखो, इन्होंने रो-रोकर आँखे लाल कर ली हैं।' श्री राम सुमित्रा की गोद में जाते ही सो जाते।

साहित्य में सुमित्रा

कौशल्या की अपेक्षा सुमित्रा प्रखर, प्रभावी एवं संघर्षमयी रमणी है । कैकेयी के वचनों की पालना एवं श्रीराम प्रभु के साथ जब लक्ष्मण अपनी माता से वन जाने की आज्ञा चाहते हैं तो वह कहती है कि जहाँ श्रीराम जी का निवास हो वहीं अयोध्या है । जहाँ सूर्य का प्रकाश हो वहीं दिन है । यदि निश्चय ही सीता-राम वन को जाते हैं तो अयोध्या में तुम्हारा कुछ भी काम नहीं है । ‘मानस’ की उक्त पंक्तियाँ अवलोकनीय हैं- अवध तहाँ जहँ राम निवासू । तहँइँ दिवसु जहँ भानु प्रकासू । जौं पै सीय राम बन जाहीं । अवध तुम्हार काजु कछु नाहीं
सुमित्रा ने सदैव अपने पुत्र को विवेकपूर्ण कार्य करने को प्रेरित किया । राग, द्वेष, ईर्ष्या, मद से दूर रहने का आचरण सिखाया और मन-वचन-कर्म से अपने भाई की सेवा में लीन रहने का उपदेश दिया,
यथा- रागु रोषु इरिषा मदु मोहू । जनि सपनेहुँ इन्ह के बस होहू ।। सकल प्रकार विकार बिहाई । मन क्रम वचन करेहु सेवकाई॥
कैकेयी
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शांता कौशल्या की पुत्री

अयोध्या नरेश दशरथ की तीन पत्नियों कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी में से कौशल्या ने श्री राम को जन्म देने से पहले एक पुत्री को जन्म दिया था जिसका नाम शांता था। वह अत्यंत सुन्दर और सुशील कन्या थी। इसके अलावा वह वेद, कला तथा शिल्प में पारंगत थीं।

संबंध
राजा दशरथ की पुत्री
जीवनसाथी
ऋष्यश्रृंग
माता-पिता
दशरथ (पिता)
कौशल्या (माता)
रोमपाद (दत्तक पिता)
वर्षिणी (adoptive mother)
सुमित्रा (step-mother)
कैकेयी (step-mother)
भाई-बहन
भगवान राम (भाई)
लक्ष्मण, भरत and शत्रुघ्न (half-brothers)

राजा दशरथ और रानी कौशल्या से वर्षिणी और रोमपद का दुःख देखा न गया और उन्होंने निर्णय लिया कि वह शांता को उन्हें गोद दे देंगे  
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