फल प्राप्त ,पुष्पों द्वारा शिवजी की पूजा के माहात्म्य
फल प्राप्त
ऋषियों ने पूछा- हे महाभाग ! अब आप यह बताइए कि भगवान शिवजी की किन-किन फूलों से पूजा करनी चाहिए? विभिन्न फूलों से पूजा करने पर क्या-क्या फल प्राप्त होते हैं?
सूत जी बोले- हे ऋषियो! यही प्रश्न नारद जी ने ब्रह्माजी से किया था। ब्रह्माजी ने उन्हें पुष्पों द्वारा शिवजी की पूजा के माहात्म्य को बताया।
Importance of worshiping Lord Shiva with flowers and getting results |
पुष्पों द्वारा शिवजी की पूजा के माहात्म्य
ब्रह्माजी ने कहा- नारद! लक्ष्मी अर्थात धन की कामना करने वाले मनुष्य को कमल के फूल, बेल पत्र, शतपत्र और शंख पुष्प से भगवान शिव का पूजन करना चाहिए। एक लाख पुष्पों द्वारा भगवान शिव की पूजा होने पर सभी पापों का नाश हो जाता है और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। एक लाख फूलों से शिवजी की पूजा करने से मनुष्य को संपूर्ण अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती है। जिसके मन में कोई कामना न हो, वह उपासक इस पूजन से शिव स्वरूप हो जाता है। मृत्युंजय मंत्र के पांच लाख जाप पूरे होने पर महादेव के स्वरूप के दर्शन हो जाते हैं। एक लाख जाप से शरीर की शुद्धि होती है। दूसरे लाख के जाप से पहले जन्म की बातें याद आ जाती हैं। तीसरे लाख जाप के पूर्ण होने पर इच्छा की गई सभी वस्तुओं की प्राप्ति हो जाती है। चौथे लाख जाप पूर्ण होने पर भगवान शिव सपनों में दर्शन देते हैं। पांचवां लाख जाप पूरा होने पर वे प्रत्यक्ष दर्शन देते हैं। मृत्युंजय मंत्र के दस लाख जाप करने से संपूर्ण फलों की सिद्धि होती है। मोक्ष की कामना करने वाले मनुष्य को एक लाख दर्भों (दूर्वा) से शिव पूजन करना चाहिए। आयु वृद्धि की इच्छा करने वाले मनुष्य को एक लाख दुर्वाओं द्वारा पूजन करना चाहिए। पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाले मनुष्य को एक लाख धतूरे के फूलों से पूजा करनी चाहिए। पूजन में लाल डंठल वाले धतूरे को शुभदायक माना जाता है। यश प्राप्ति के लिए एक लाख अगस्त्य के फूलों से पूजा करनी चाहिए। तुलसीदल द्वारा शिवजी की पूजा करने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। अड़हुल (जवा कुसुम) के एक लाख फूलों से पूजा करने पर शत्रुओं की मृत्यु होती है। एक लाख करवीर के फूलों से शिव पूजन करने पर समस्त रोगों का नाश हो जाता है। दुपहरिया के फूलों के पूजन से आभूषण तथा चमेली के फूलों से पूजन करने से वाहन की प्राप्ति होती है। अलसी के फूलों से शिव पूजन करने से विष्णुजी भी प्रसन्न होते हैं। बेलों के फूलों से अर्घ्य देने पर अच्छे जीवन साथी की प्राप्ति होती है। जूही के फूलों से पूजन करने पर घर में धन-संपदा का वास होता है तथा अन्न के भंडार भर जाते हैं। कनेर के फूलों से पूजा करने पर वस्त्रों की प्राप्ति होती है। सेदुआरि और शेफालिका के फूलों से पूजन करने पर मन निर्मल हो जाता है। हारसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-संपत्ति की वृद्धि होती है। राई के एक लाख फूलों से पूजन करने पर शत्रु मृत्यु को प्राप्त होते हैं। चंपा और केवड़े के फूलों से शिव पूजन नहीं करना चाहिए। ये दोनों फूल महादेव के पूजन के लिए अयोग्य होते हैं। इसके अलावा सभी फूलों का पूजा में उपयोग किया जा सकता है। महादेवी जी पर चावल चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। ये चावल अखण्डित होने चाहिए। उन्हें विधिपूर्वक अर्पित करें। रुद्रप्रधान मंत्र से पूजन करते हुए, शिवलिंग पर वस्त्र अर्पित करें। गंध, पुष्प और श्रीफल चढ़ाकर धूप-दीप से पूजन करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है। उसी प्रांगण में बारह ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इससे सांगोपांग पूजा संपन्न होती है। एक लाख तिलों से शिवजी का पूजन करने पर समस्त दुखों और क्लेशों का नाश होता है। जौ के दाने चढ़ाने पर स्वर्गीय सुख की प्राप्ति होती है। गेहूं के बने भोजन से लाख बार शिव पूजन करने से संतान की प्राप्त होती है। मूंग से पूजन करने पर उपासक को धर्म, अर्थ और काम-भोग की प्राप्ति होती है तथा वह पूजा समस्त सुखों को देने वाली है। उपासक को निष्काम होकर मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। भक्तिभाव से विधिपूर्वक शिव की पूजा करके जलधारा समर्पित करनी चाहिए। शत रुद्रीय मंत्र से एकादश रुद्र जप, सूक्त, षडंग, महामृत्युंजय और गायत्री मंत्र में नमः लगाकर नामों से अथवा प्रणव 'ॐ' मंत्र द्वारा शास्त्रोक्त मंत्र से जलधारा शिवलिंग पर चढ़ाएं। धारा पूजन से संतान की प्राप्ति होती है। सुख और संतान की वृद्धि के लिए जलधारा का पूजन उत्तम होता है। उपासक को भस्म धारण प्रेमपूर्वक शुभ एवं दिव्य द्रवों द्वारा शिव पूजन कर उनके सहस्र नामों का जाप करते हुए शिवलिंग पर घी की धारा चढ़ानी चाहिए। इससे वंश का विस्तार होता है। दस हजार मंत्रों द्वारा इस प्रकार किया गया पूजन रोगों को समाप्त करता है तथा मनोवांछित फल की प्राप्त होती है। नपुंसक पुरुष को शिवजी का पूजन घी से करना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और प्राजापत्य का व्रत रखना चाहिए। बुद्धिहीन मनुष्य को दूध में शक्कर मिलाकर इसकी धारा शिवलिंग पर चढ़ानी चाहिए। इससे भगवान प्रसन्न होकर उत्तम बुद्धि प्रदान करते हैं। यदि मनुष्य का मन उदास रहता हो, जी उचट जाए, कहीं भी प्रेम न रहे, दुख बढ़ जाए तथा घर में सदैव लड़ाई रहती हो तो मनुष्यों को शक्कर मिश्रित दूध दस हजार मंत्रों का जाप करते हुए शिवलिंग को अर्पित करना चाहिए। खुशबू वाला तेल चढ़ाने पर भोगों की वृद्धि होती है। यदि शिवजी पर शहद चढ़ाया जाए तो टी. बी. जैसा रोग भी समाप्त हो जाता है। शिवजी को गन्ने का रस चढ़ाने से आनंद की प्राप्ति होती है। गंगाजल को चढ़ाने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। उपरोक्त वस्तुओं को अर्पित करते समय मृत्युंजय मंत्र के दस हजार जाप करने चाहिए और ग्यारह ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। इस प्रकार शिवजी की विधि सहित पूजा करने से पुत्र-पौत्रादि सहित सब सुखों को भोगकर अंत में शिवलोक की प्राप्ति होती है।
श्रीरुद्र संहिता चौदहवां अध्याय समाप्त
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