शिव पूजा मंत्र - विवरण

शिव पूजा मंत्र - विवरण  Shiv Puja Mantra - Description

शिव पूजा के दौरान कई मंत्रों का जाप किया जाता है। यहां कुछ प्रमुख मंत्रों का उल्लेख किया जा सकता है:
ॐ नमः शिवाय (Om Namah Shivaya) - यह शिव का प्रमुख मंत्र है।
महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra) - "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।"
शिव तांडव स्तोत्र (Shiva Tandava Stotram) - यह स्तोत्र भगवान शिव के गुणों की प्रशंसा करता है।
रुद्राष्टकम (Rudrashtakam) - यह भी भगवान शिव की महिमा का गान करता है।
शिव की पूजा करते समय आप किसी एक मंत्र का जाप कर सकते हैं या अनुसार अन्य मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं। ध्यान और श्रद्धा के साथ मंत्र का जाप करना शिव पूजा में महत्वपूर्ण होता है।

शिव पूजा की कथा

शिव पूजा की कथा में कई परंपराओं और पौराणिक कथाओं का समावेश होता है। यहां एक प्रसिद्ध कथा है जो शिव पूजा से जुड़ी है:
किसी समय की बात है, देवों और असुरों के बीच समुद्र मंथन की प्रक्रिया हो रही थी। मंथन के दौरान हलाहल विष (क्रोध का प्रतीक) उत्पन्न हुआ जिससे सभी देवताओं को भयंकर संकट का सामना करना पड़ा।
देवताओं ने ब्रह्मा और विष्णु से सलाह की, जो उन्हें बताएं कि क्या किया जाए। उन्होंने सुग्रीव नामक एक वानर को शिव के दरबार में भगवान को अमृत प्राप्ति के लिए प्रार्थना करने का निर्देश दिया।
सुग्रीव शिव के ध्यान में लगा और उनसे अमृत की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की, लेकिन शराब के पहले उन्होंने अपनी शक्ति को स्वीकार करने की शर्त रखी।
सुग्रीव ने सहमति देकर शिव की शक्ति को स्वीकार किया। शिव ने उन्हें अमृत पिने के बाद ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवताओं की मदद करने की स्वीकृति दी।
इस कथा से स्पष्ट होता है कि भगवान शिव विश्व की रक्षा करते हैं और उनकी पूजा से हमें आनंद, शांति और सुख की प्राप्ति होती है। इसलिए शिव पूजा को श्रद्धा और विश्वास के साथ की जानी चाहिए।

शिव की पूजा करते समय, कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना चाहिए:

  • शिवलिंग की पूजा:** शिवलिंग को पवित्र माना जाता है। इसे साफ़ रखें, जल अर्पण करें, दूध, धारा, गंगाजल, श्रृंगार के लिए पुष्प, बिल्व पत्र आदि से अर्चना करें।
  • मन्त्रों का पाठ:** 'ॐ नमः शिवाय' या अन्य शिव मंत्रों का जाप करें। ये मंत्र भगवान शिव की पूजा में उन्हें समर्पित करते हैं और मानसिक शांति प्रदान करते हैं।
  • ध्यान:** शिव के रूप में ध्यान करें, उनकी मूर्ति या शिवलिंग को देखकर मन को स्थिर रखें। उनकी शक्ति और कृपा का अनुभव करें।
  • भक्ति और प्रेम:** भगवान शिव की पूजा में भक्ति और प्रेम के साथ जुड़े रहें। उन्हें समर्पित भाव से पूजन करें।
  • ध्यान और ध्यान की प्रक्रिया:** ध्यान की प्रक्रिया में शिव की चित्त और मन को शुद्ध करने का प्रयास करें। इससे मानसिक शांति और ध्यानाग्रहण में सहायता मिलती है।
  • प्रार्थना और आरती:** अपनी मांगों को शिव के सामने रखें और उनसे मानसिक और भौतिक समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। आरती गाकर उनकी महिमा का गुणगान करें।
  • कर्मकांड और सेवा:** शिव पूजा में दान, चारित्रिकता, दया और सेवा का महत्त्व रहता है। यदि संभव हो, गरीबों या जरूरतमंदों की सेवा करें।
ये सभी महत्त्वपूर्ण तत्व हैं जो शिव पूजा में ध्यान दिया जाना चाहिए। यह पूजा आपको मानसिक शांति, आत्मिक संवादना और भगवान शिव के करुणा से लाभान्वित कर सकती है।

शिव की पूजा के लिए सबसे शुभ समय रात्रि 

शिव की पूजा के लिए रात्रि का सबसे शुभ समय अक्षरशः "मध्यरात्रि" होता है, जो कि रात्रि के नक्षत्रों के बीच का मध्य बिंदु होता है। इस समय में भगवान शिव की पूजा करने से अत्यंत पुण्य प्राप्त होता है। मध्यरात्रि का समय रात्रि के नक्षत्रों के बीच में होता है, जो कि हर रात्रि में बदलते रहते हैं। इस समय का अधिकांशत: संस्कृति और विशेषताओं में व्याप्त नहीं होता है, और इसलिए यह नक्षत्रों की गति के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
अनुसार वैदिक ज्योतिष, ज्योतिषीय संक्रांति के समय (नक्षत्रों के परिवर्तन का समय) को मध्यरात्रि के रूप में माना जाता है। यह समय दिन-रात्रि के समय की गणना में होता है, जब सूर्य और चंद्रमा एक नक्षत्र से दूसरे नक्षत्र में प्रवेश करते हैं। इस तरह, मध्यरात्रि का समय दिन के 12 बजे के आसपास और रात के 12 बजे के आसपास होता है, लेकिन यह समय विभिन्न ज्योतिषीय गणनाओं और परंपराओं के अनुसार भिन्न हो सकता है।
शिव की पूजा में, यदि संभव हो, मध्यरात्रि के समय में पूजन किया जाता है, तो इसे अत्यंत शुभ माना जाता है, जो कि पूजन का अधिक सकारात्मक परिणाम देने में मदद कर सकता है। शिव की पूजा करने का सबसे शुभ समय रात्रि के अंतराल में माना जाता है, जैसे कि रात के 12 बजे के बाद या प्रातः काल में सूर्योदय से पहले। इस समय पर शिव की पूजा करने से बहुत अधिक पुण्य प्राप्त होता है। प्रात: काल में पूजा करने से मान्यता है क्योंकि इस समय पर आत्मा और मन शुद्ध और सात्त्विक होते हैं। यह शुभ समय विशेष रूप से ध्यान और पूजा के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जाता है। ज्यादातर लोग शिव पूजा रात्रि के समय करते हैं, खासकर महाशिवरात्रि जैसे अवसरों पर, जब पूजा रात्रि भर चलती है।
यदि आप शिव पूजा करना चाहते हैं, तो आप श्रद्धा और विश्वास के साथ इसे किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन प्रात: काल और रात्रि के अंतराल को अधिक शुभ माना जाता है। ध्यान देने योग्य है कि शिव पूजा में श्रद्धा, भक्ति, और पवित्रता का महत्त्व होता है। आप जिस समय और स्थान पर भगवान की पूजा करना चुनें, उसे सच्ची भावना के साथ करें और शिव की कृपा की प्रार्थना करें। शिव की पूजा के लिए सबसे शुभ समय रात्रि का होता है। इसमें भी, रात के अंतराल में एक विशेष समय होता है जो कि कहा जाता है शिव पूजा के लिए बहुत ही प्रिय और शुभ होता है।
इस अंतराल को "रात्रि का प्रहर" कहा जाता है, जो रात्रि की 3 भागों में बाँटा गया है: 
  1. प्रथम प्रहर (आधी रात)**: 9 बजे से 12 बजे तक
  2. मध्यम प्रहर (मध्यनिशा)**: 12 बजे से 3 बजे तक
  3. तृतीय प्रहर (सुबह की शुरुआत)**: 3 बजे से 6 बजे तक
इन तीनों प्रहरों में से मध्यम प्रहर, जो कि आधी रात से लेकर तीन बजे तक का समय होता है, को शिव पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस समय पर भगवान शिव की पूजा, ध्यान, जाप आदि करने से अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है।
यहाँ बताये गए समय मानक हैं, लेकिन कुछ स्थानों और परंपराओं में इसमें थोड़ी भिन्नता हो सकती है। पूजा करने से पहले स्थानीय परंपराओं और विशेषताओं का भी ध्यान रखना चाहिए।
इसलिए, शिव पूजा के लिए मध्यरात्रि को शुभ समय माना जाता है, जब भक्त शिव की पूजा, आराधना, मन्त्र जाप, ध्यान, और आरती करते हैं।

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