शिव के डमरू के बारे में कुछ खास बातें

शिव के डमरू के बारे में कुछ खास बातें Some special things about Shiva's Damru

शिव के डमरू के बारे में कुछ खास बातें हैं जो इसे एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक संकेत बनाती हैं:
  1. सृष्टि और संहार का प्रतीक:** शिव के डमरू की ध्वनि का माना जाता है कि इससे सृष्टि और संहार की प्रक्रिया होती है। उनके डमरू की ध्वनि से नृत्य करते समय उनकी तांडव नृत्य भी होता है, जिससे सृष्टि की प्रक्रिया को दर्शाया जाता है।
  2. प्राणी के चित्त को नियंत्रित करने में सहायक:** ध्यान और माध्यमिका के माध्यम से शिव के डमरू की ध्वनि को सुनकर व्यक्ति अपने मानसिक और भावनात्मक स्थिति को नियंत्रित कर सकता है।
  3. संसार की प्रक्रिया का प्रतीक:** शिव के डमरू की ध्वनि संसार की प्रक्रिया को दर्शाती है, जिसमें सृष्टि, संरक्षण और संहार की प्रक्रिया होती है।
  4. द्वन्द्व का प्रतीक:** डमरू के दो तारे द्वन्द्व (द्वंद्व) को प्रतिनिधित करते हैं, जो सृष्टि और प्रलय, पुरुष और प्रकृति, जीवन और मृत्यु के बीच का संतुलन दिखाते हैं।
  5. क्रियाशीलता का प्रतीक:** शिव के डमरू के ध्वनि से सृष्टि के समस्त गतिविधियों का प्रबंधन किया जाता है, जिससे क्रियाशीलता और नवीनता की प्रेरणा मिलती है।
शिव के डमरू का महत्त्वपूर्ण स्थान हिंदू धर्म में है, और इसे सृष्टि, संरक्षण, और संहार की प्रक्रिया को संकेतित करने वाला महत्त्वपूर्ण धार्मिक संकेत माना जाता है।

शिव के ध्यानी ध्वनि

शिव के डमरू का ध्वनि उनके ध्यान और तांत्रिक क्रियाओं के साथ जुड़ा होता है। इसे उनकी तांडव नृत्य के समय और उनके ध्यान में सुना जा सकता है। डमरू की ध्वनि को माना जाता है कि वह संसार की उत्पत्ति और संक्षेपण को प्रतिनिधित्ता करती है। ध्यान और तापस्या के समय, शिव डमरू को बजाते हैं जिससे उनका विशेष महत्त्व होता है। डमरू भगवान शिव का वाद्ययंत्र ही नहीं यह बहुत कुछ है। इसे बजाकर भूकंप लाया जा सकता है और बादलों में भरा पानी भी बरसाया जा सकता है। डमरू की आवाज यदि लगातर एक जैसी बजती रहे तो इससे चारों और का वातावरण बदल जाता है।

शिव के डमरू ध्वनियाँ

शिव के डमरू में बहुत सारी ध्वनियाँ होती हैं। हिंदू धर्म में कहा जाता है कि शिव के डमरू से नाद बजता है जो काला (कालरात्रि) और नील (नीलकंठ) शिव की ध्वनियाँ होती हैं। इसमें ध्वनियों की संख्या को लेकर कोई निश्चित आंकड़े नहीं हैं क्योंकि यह एक धार्मिक मान्यता और रहस्यमयी विषय है।

शिव के डमरू के लाभ

डमरू बजाने के कई लाभ हो सकते हैं। इसे हिंदू धर्म में भगवान शिव के एक प्रमुख आधारिक आवाज के रूप में माना जाता है। इसके बजने से मान्यता है कि नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और शुभ ऊर्जा को बढ़ावा मिलता है। इसे ध्यान लगाने, मेधा बढ़ाने, चित्त शांति के लिए भी उपयोग किया जा सकता है। विशेष रूप से योग और तांत्रिक अभ्यासों में डमरू का उपयोग किया जाता है जो मानव को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से सुधारने में मदद कर सकते हैं।
  1. डमरू की आवाज़ से तनाव कम होता है और मन शांत होता है.
  2. डमरू की आवाज़ से बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है.
  3. डमरू बजाने से घर की नकारात्मकता दूर होती है और बुरी शक्तियां नष्ट होती हैं.
  4. डमरू की आवाज़ से आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियां भी दूर हो जाती हैं.
  5. डमरू की ध्वनि घर में नकारात्मक ऊर्जा को प्रवेश नहीं करने देती.
  6. डमरू की थाप से संस्कृत भाषा को पहचान मिली थी.

कुछ लोकप्रिय शिव मंत्र

शिव जी के डमरू के मंत्र विशेष रूप से उनकी पूजा और साधना में उपयोग किए जाते हैं। ये मंत्र वाक्य होते हैं जो शिव जी की महिमा, शक्ति और आशीर्वाद को प्रकट करने के लिए उच्चारित किए जाते हैं। इन मंत्रों को सही तरीके से उच्चारण करने से मान्यता है कि शिव जी की कृपा प्राप्त होती है और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। 
कुछ लोकप्रिय शिव मंत्र हैं जैसे:
  • ॐ नमः शिवाय (Om Namah Shivaya)
  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ (Om Tryambakam Yajamahe Sugandhim Pushtivardhanam, Urvarukamiva Bandhanan Mrityor Mukshiya Maamritat)
ये मंत्र शिव की पूजा, ध्यान या जप के समय उच्चारित किए जाते हैं और शिव जी की कृपा और आशीर्वाद को आमंत्रित करने का कार्य करते हैं।

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