शिव भगवान का डमरू का उपयोग,Lord Shiva's use of Damru

शिव भगवान  का डमरू का उपयोग 

डमरू एक पारंपरिक भारतीय संगीत और ध्यान का उपकरण है जो विभिन्न तरीकों से उपयोग किया जाता है। यहाँ कुछ उपयोगों का उल्लेख किया गया है:
  • संगीत में उपयोग: डमरू को संगीत बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके द्वारा ताल, ध्वनि और छंद को संगीत में शामिल किया जा सकता है।
  • ध्यान में उपयोग:कुछ लोग ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यास के दौरान डमरू का उपयोग करते हैं। इसे ध्यान के दौरान बजाकर मानसिक शांति और ध्यान को स्थिरता देने का माध्यम माना जाता है।
  • रिलीगियस समारोहों में:कई धार्मिक समारोहों और पूजाओं में भी डमरू का प्रयोग होता है, विशेषकर शिव पूजा में।
डमरू का उपयोग व्यक्ति की आध्यात्मिकता, संगीत पसंद और ध्यान की प्रक्रिया में भिन्न भिन्न हो सकता है। यह एक साधना का हिस्सा होता है और जैसे आपकी रुचि हो, वैसे आप इसका उपयोग कर सकते हैं।

डमरू की आवश्यकता क्या घर में डमरू रखना चाहिए

डमरू एक धार्मिक और सांस्कृतिक आदर्श का प्रतीक हो सकता है, लेकिन इसे घर में रखने का फैसला व्यक्तिगत होता है। यह उपकरण ध्यान, संगीत और आध्यात्मिक प्रयोगों का हिस्सा हो सकता है। अगर आपको इसका उपयोग करने का शौक है और आप इसे सम्मान और ध्यान के लिए रखना चाहते हैं, तो आप इसे अपने घर में रख सकते हैं। ध्यान और आध्यात्मिकता के अलावा, यह संगीतीय उपकरण के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। 
इसे घर में रखने से पहले, आपको इसका महत्व और आपके लिए इसका मतलब समझ लेना चाहिए। यदि आपको इसका सम्मान करने का मन है और आप इसे उपयोग में लाना चाहते हैं, तो आप इसे अपने घर में रख सकते हैं। यह आपके धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव को समृद्ध कर सकता है।

डमरू का अर्थ

"डमरू" एक हिंदी शब्द है जिसका अर्थ होता है "डामरू" या "डमरू" एक प्रकार का हिंदू धर्म में प्रयोग होने वाला छोटा सा ढोलक जैसा उपकरण होता है। यह ढोलक के आकार की एक छोटी तोंबड़ी होती है, जिसमें एक छोटी सी लकड़ी के या मेटल की दो छोटी लकड़ी के टुकड़े होते हैं।
डमरू को हिंदू धर्म में भगवान शिव के वाहन के रूप में जाना जाता है। इसे भगवान शिव के वीणा या माना जाता है, जो संसार के सृष्टि और संहार के नाद का प्रतीक है। धार्मिक आराधना के साथ-साथ, कई संगीतकार और कलाकार भी इस उपकरण का उपयोग करते हैं और विभिन्न संगीतिक प्रदर्शनों में इसे शामिल करते हैं।

डमरू कैसे बजाते हैं

डमरू एक हिंदू धर्म का एक प्राचीन मयूरक वाद्य यंत्र है जो शिव भगवान के अनुयायियों द्वारा उपयोग किया जाता है। डमरू को बजाने के लिए निम्नलिखित तरीके का पालन करें:
  • पकड़ें: डमरू को दोनों हाथों में पकड़ें।
  • ताने खींचें: डमरू के दोनों धड़ों को अपने वांगुलों से पकड़ें।
  • बजाएं: हाथों को आपस में टकराएं ताकि डमरू की दो धड़ों एक-दूसरे से टकराती रहें। इससे ध्वनि उत्पन्न होती है और डमरू बजता है।
ध्यान दें कि डमरू बजाना कुशलता और प्रैक्टिस की आवश्यकता होती है। शिव के अनुयायी इसे ध्यान और पूजा के समय में उपयोग करते हैं।

डमरू बजाते समय बोले जा सकते यहां कुछ मंत्र 

डमरू को बजाते समय शिव भगवान के नाम या मंत्रों का जाप किया जाता है। यहां कुछ मंत्र हैं जो डमरू बजाते समय बोले जा सकते हैं:
  • ॐ नमः शिवाय (Om Namah Shivaya)
  • ॐ नमो भगवते रुद्राय (Om Namo Bhagavate Rudraya)
  • हर हर महादेव (Har Har Mahadev)
  • ॐ तत् पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्। (Om Tat Purushaya Vidmahe Mahadevaya Dhimahi Tanno Rudrah Prachodayat)
ये मंत्र शिव की भक्ति और समर्थन के लिए बोले जा सकते हैं, जो डमरू के बजने को और भव्य बना सकते हैं।

शिव के डमरू का नाम

शिवजी का त्रिशूल इच्छा शक्ति, क्रिया शक्ति और ज्ञान शक्ति रूपी तीन मूलभूत शक्तियों का प्रतीक है. इसी त्रिशूल से वह न्याय करते हैं. महादेव इसी से सत्व, रज और तम तीन गुणों को भी नियंत्रित रखते हैं, जो किसी भी व्यक्ति में पाए जाते हैं. भगवान शंकर के हाथ में डमरू नाद ब्रह्म का प्रतीक है.

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