2024 जानिए 15 जनवरी सोमवार मकर संक्रांति , पोंगल, के बारे में
15 जनवरी 2024 को सोमवार को ही मकर संक्रांति मनाई जाएगी। यह एक हिंदू त्योहार है जो उत्तरायण सूर्य की गति के प्रमुख बदलाव का प्रतीक है। इस दिन को पूरे भारत में खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
इस दिन पोंगल भी मनाया जाता है, जो कि दक्षिण भारत में मकर संक्रांति का विशेष रूप है। यह त्योहार धन, समृद्धि और खुशियों का प्रतीक माना जाता है। यह समान अवसर है जब प्रकाश का त्योहार मनाया जाता है जो सूर्य के उत्तरायण में आने की खुशी में होता है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, खाना बनाते हैं और विभिन्न प्रकार की पूजाएं और रंग-बिरंगे उत्सव कार्यक्रमों में शामिल होते हैं।
शुभ मुहूर्त पुण्यकाल
शुभ मुहूर्त सुबह 7:15 बजे से शाम 5.46 बजे तक रहेगा, वहीं मकर संक्रान्ति का महा पुण्यकाल 15 जनवरी 2024 को सुबह 7:15 बजे से सुबह 9 बजे तक रहेगा।17 जनवरी 2024 बुधवार गुरु गोविंद सिंह जयंती
18 जनवरी 2024 गुरुवार मासिक दुर्गाष्टमी
मकर संक्रांति और पोंगल
मकर संक्रांति और पोंगल, दोनों ही त्योहार भारतीय उपमहाद्वीप में मनाए जाने वाले महत्त्वपूर्ण पर्व हैं।मकर संक्रांति:-
मकर संक्रांति हिंदू पंचांग के अनुसार मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के दिन मनाया जाता है।
यह पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्त्वपूर्ण है और भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।
इसे उत्तरायण का प्रारंभ भी माना जाता है, जिसका अर्थ है सूर्य का उत्तर की दिशा में आगमन।
लोग इस दिन को खिचड़ी, तिल, गुड़ और खोया बनाने के लिए खास रूप से मनाते हैं और इस दिन दान-पुण्य करने का भी महत्त्व होता है।
पोंगल:-
पोंगल दक्षिण भारतीय राज्यों में तमिल नाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और केरल में मनाया जाता है।
यह चार दिनों तक चलने वाला एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें पहले दिन भोगी, दूसरे दिन सुर्य पूजा, तीसरे दिन माटु पोंगल (राइस पुद्डिंग) और चौथे दिन कानुम पोंगल मनाया जाता है।
पोंगल में चावल, जीरा, मूंग दाल, गुड़ और दूध का उपयोग किया जाता है और इसे सूर्य देवता की पूजा के साथ बनाया जाता है।
इस त्योहार में लोग अपने घरों को सजाते हैं, रंग-बिरंगे वस्त्र पहनते हैं और परिवार और मित्रों के साथ खुशियों का आनंद लेते हैं।
ये दोनों ही त्योहार अपनी विशेषता और महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक विविधता के लिए जाने जाते हैं और लोग इन्हें बड़े ही उत्साह और खुशी के साथ मनाते हैं।
मकर संक्रांति और पोंगल की पूजा विधि
मकर संक्रांति पूजा विधि:-सूर्य पूजन: सूर्योदय के समय पूजन करना शुभ माना जाता है। सूर्य को जल और फूलों से पूजा किया जाता है।
तिल, गुड़, खांड की पूजा: तिल, गुड़ और खांड को पूजने के लिए अलग-अलग थालियों में रखा जाता है। इन्हें सूर्य की दिशा में रखा जाता है और पूजन किया जाता है।
दान का महत्त्व: इस दिन दान करने का भी विशेष महत्त्व होता है। धन्य, वस्त्र, खिलौने, खाना-पीना, इत्यादि दान किया जाता है।
पूजा के बाद समापन: पूजा के बाद व्रत और पूजा समाप्त करने के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है और प्रसाद बाँटा जाता है।
पोंगल पूजा विधि:-
पोंगल पूजन: इस दिन अन्नदाता पूजन किया जाता है। इसमें पहले सूर्य देवता का पूजन किया जाता है और फिर अन्न की देवी माटुलोकी की पूजा की जाती है।
वस्त्र और अलंकरण: धार्मिक अलंकरण के साथ, घर को सजाया जाता है और पूजा स्थल को सजाया जाता है।
पूजा के बाद भोजन: पूजन के बाद प्रसाद के रूप में बनाए गए पोंगल और दूसरे व्यंजनों को सभी के साथ बाँटा जाता है।
रंग-बिरंगे उत्सव: इस त्योहार में रंग-बिरंगे उत्सव, नृत्य, गीत और खुशियों का आनंद लिया जाता है।
यह पूजा विधियां विभिन्न स्थानों और परंपराओं के अनुसार थोड़ी भिन्नता दिखा सकती हैं, लेकिन ये मुख्यतः त्योहार के आदर्श पूजनीय तत्व होते हैं।
मकर संक्रांति और पोंगल के पूजा से कई लाभ
मकर संक्रांति और पोंगल के त्योहारों के पूजन से कई लाभ होते हैं, जो मानव जीवन को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करते हैं।मकर संक्रांति के पूजन के लाभ:-
- आध्यात्मिक उन्नति: सूर्य की पूजा और देवताओं को अर्पण से मन की शुद्धि होती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
- शुभकामनाएं और आशीर्वाद: इस दिन देवताओं की पूजा करने से शुभकामनाएं और आशीर्वाद मिलते हैं।
- कृतज्ञता का भाव: इस दिन धन्य, गुड़ और तिल की पूजा करके आभार का अभिवादन किया जाता है, जिससे कृतज्ञता का भाव विकसित होता है।
- उत्साह और खुशी: त्योहार के माहौल में लोग खुशी और उत्साह से भरते हैं, जो सामाजिक मिलनसरता को बढ़ाता है।
- श्रद्धा और आदर: पोंगल के त्योहार में अन्न की देवी की पूजा से श्रद्धा और आदर का भाव विकसित होता है।
- बुराई से मुक्ति: इस त्योहार में देवी की कृपा से बुराई से मुक्ति मिलती है और समृद्धि आती है।
- ग्राहकों का आशीर्वाद: अन्नदाता की पूजा से अन्न के ग्राहकों का आशीर्वाद मिलता है, जो उन्हें खुशहाली और समृद्धि में सहायता करता है।
- प्राकृतिक संतुलन: इस त्योहार में विशेष प्रकार के अन्न बनाए जाते हैं, जो प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं।
प्रमुख कथाएं
मकर संक्रांति और पोंगल के पीछे कई प्रमुख कथाएं हैं, जो इन त्योहारों के महत्त्व को और गहराई से समझाती हैं।मकर संक्रांति की कथा:-
एक प्राचीन कथा के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देवता स्वर्ग से पृथ्वी पर अपने पुत्र शनि के साथ मिलने के लिए आते हैं। शनि देव को उनकी बहन यमुना (यमा) के साथ मिलने का मौका मिलता है। यह एक उत्सव का समय होता है, जब पितृ और देवताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है और प्रार्थना की जाती है कि वे शुभकामनाएं दें और समस्त बुराइयों से रक्षा करें।
पोंगल की कथा:-पोंगल की कथा तमिल नाडु में प्रसिद्ध है। यहां की प्रमुख कथा में कहा जाता है कि पोंगल त्योहार भगवान सूर्य और भूमिदेवी की पूजा का एक महत्त्वपूर्ण रूप है। एक दिन देवी भूमि की क्रियाशीलता के बारे में पति को बहुत चिंता थी। देवी ने उन्हें विशेष रूप से एक वरदान दिया था कि जब तक प्राणी इसे मानवता के साथ बाँटेंगे और पूरी श्रद्धा और समर्पण से उपभोग करेंगे, तब तक भूमि की समृद्धि बनी रहेगी। इसी तरह, पोंगल में अन्न की देवी की पूजा की जाती है, जिससे समृद्धि, सौभाग्य, और खुशियाँ आती हैं।
ये कथाएं त्योहारों के पीछे छिपी मानवीय संदेशों को समझाने में मदद करती हैं और लोगों को उनकी महत्त्वपूर्णता को समझने में सहायता प्रदान करती हैं।
महत्त्व मकर संक्रांति और पोंगल का
मकर संक्रांति और पोंगल, भारतीय समाज में महत्त्वपूर्ण त्योहार हैं जो वर्ष के बदलाव को चिह्नित करते हैं और जो हरित-काल की शुरुआत को मनाते हैं।मकर संक्रांति का महत्त्व:-
मकर संक्रांति, हिंदू पंचांग के अनुसार मकर राशि में सूर्य के प्रवेश का समय होता है। यह त्योहार हिंदू धर्म में बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
इसे उत्तरायण का प्रारंभ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है सूर्य का उत्तर की दिशा में आगमन।
इस दिन लोग सूर्य की पूजा करते हैं और खिचड़ी, तिल, गुड़ और खोया बनाते हैं।
मकर संक्रांति का महत्त्व है क्योंकि यह शुभ विचारों, प्रार्थनाओं और दान-पुण्य का समय होता है।
पोंगल का महत्त्व:-पोंगल दक्षिण भारतीय राज्यों में मनाया जाने वाला महत्त्वपूर्ण त्योहार है, जो विशेष रूप से अन्नदाता की पूजा का समय होता है।
यह चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जिसमें पहले दिन भोगी, दूसरे दिन सुर्य पूजा, तीसरे दिन माटु पोंगल (राइस पुद्डिंग) और चौथे दिन कानुम पोंगल मनाया जाता है।
इस त्योहार में लोग अपने घरों को सजाते हैं, रंग-बिरंगे वस्त्र पहनते हैं और परिवार और मित्रों के साथ खुशियों का आनंद लेते हैं।
ये दोनों ही त्योहार समृद्धि, खुशियाँ, सामाजिक एकता, और धार्मिक उत्साह का प्रतीक हैं। इन्हें मनाने से लोग अपने परंपरागत संस्कृति को जीवंत रखते हैं और साथ ही प्रकृति के साथ भी मेल-जोल बनाए रखने का संदेश देते हैं।
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