भगवान राम वनवास कब गए थे / when did lord ram go to exile

भगवान राम वनवास गए थे

त्रेतायुग के एक घटना के रूप में, जिसे भारतीय महाकाव्य "रामायण" में विवरणित किया गया है। रामायण के अनुसार, राम जी अपने पिता राजा दशरथ के वचनपुरी यात्रा (कई संस्कृत कवियों द्वारा कथानक में "दीक्षा यात्रा" के रूप में जानी जाती है) के दौरान माता कौसल्या और गुरु वशिष्ठ के परामर्श पर वनवास के लिए चले जाते हैं। इस घटना के आधार पर राम जी, सीता माता और उनके भाई लक्ष्मण वनवास की यात्रा पर निकलते हैं।
राम का वनवास चौदह वर्ष (14 वर्ष वनवास + 1 वर्ष अग्निपरीक्षा के लिए) का था, जिसमें वे भगवान शिव की कृपा से दंडकारण्य (दंडक वन) गए थे। इस वनवास के दौरान ही रामायण की महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं, जिसमें सबसे प्रमुख है राक्षस रावण द्वारा सीता का हरण और राम के संगठित सेना द्वारा लंका के विजय की कथा।
यह वनवास का कार्यकाल केवल राम के जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिससे उन्होंने मानवता, कर्म, धर्म, परिवार के मूल्य, वचनवद्धता, और नीति के महत्व को समझा और सिखाया।

भगवान राम वनवास के बारे में कुछ तथ्य 

1. भगवान राम वनवास का अवधि 14 वर्ष था।
2. राम, सीता और लक्ष्मण ने वनवास के दौरान चित्रकूट पर्वत, पंचवटी, दंडकारण्य आदि जगहों में विचरण किया।
3. रामायण के अनुसार राम, सीता और लक्ष्मण ने 10 वर्ष तक वन में बिताए, बाकी 4 वर्ष तक वे चित्रकूट पर्वत में रहे।
4. रामायण के अनुसार, वनवास के दौरान राम ने देवराज इंद्र का वरणासी में राजसूय यज्ञ की रक्षा की थी।
5. वनवास के दौरान राम ने राक्षस तडका, मारीच, खर और दूषण को मारा।
6. भगवान राम के वनवास में वे विभीषण से मिले, जिसने बाद में रावण के राजा बने लंका की सहायता की।
7. रामायण के अनुसार, राम ने शरभंग राक्षस के साथ दोस्ती की और उन्होंने उन्हें वनवास में रहने दिया।
8. राम के वनवास के दौरान, रघुकुल के स्त्री वंदित कवि तुलसीदास ने रामचरितमानस लिखा।
9. वनवास के दौरान लक्ष्मण ने राम और सीता के लिए सेवा करते हुए उन्हें भगवान शिव और पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त किया।
10. राम के वनवास में हनुमान भगवान के भक्त बने और उनके साथ अनेक कारणों से संबंध बनाए।
11. वनवास के दौरान राम, सीता और लक्ष्मण ने अनेक ऋषियों और संतों से मिलकर उनके उपदेश सुने।
12. रामायण के अनुसार, राम के वनवास के दौरान भारत के विभिन्न कोनों से लगातार कई दूत आए, जिनसे वे अपने पिता राजा दशरथ से संपर्क कर सके।
13. वनवास के दौरान राम, सीता और लक्ष्मण ने अनेक तपस्वियों के आश्रमों का दर्शन किया और उन्हें आशीर्वाद प्राप्त किया।
14. रामायण के अनुसार, राम ने वनवास के दौरान राक्षसी शूर्पणखा को काट दिया था, जिससे रावण के भाई सूर्पणखा को क्रोधित होने का कारण बना।
15. भगवान राम के वनवास के दौरान हनुमान भगवान ने लंका का खोज किया था और सीता के लिए खोज निकाली थी।
16. राम ने वनवास के दौरान दंडक वन में बसे निवासियों के साथ भक्ति, वचनवद्धता और समरसता का उदाहरण प्रस्तुत किया।
17. राम के वनवास के दौरान उन्होंने विभीषण को भगवान शिव से राक्षसों की शक्ति का ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।
18. रामायण के अनुसार, वनवास के दौरान राम, सीता और लक्ष्मण ने अनेक धर्मिक और सामाजिक अनुष्ठानों का पालन किया।
19. वनवास के दौरान राम, सीता और लक्ष्मण ने अपने भक्तों की सेवा की और उनकी समस्याओं का समाधान किया।
20. राम के वनवास के दौरान वे राजा दशरथ के निधन की सूचना प्राप्त करने पर अपने वनवास का काल्याणकारी प्रयास करने से इंकार कर दिया।
21. राम के वनवास के दौरान उन्होंने दिव्य विजय ध्वजा के साथ राक्षस रावण के राजमहल में अवतार लेने के लिए बलि अर्पण किया था।
यह जानकारी रामायण और भारतीय साहित्य से प्राप्त तथ्यों पर आधारित है। कृपया ध्यान दें कि किसी अन्य स्रोत से इन तथ्यों की पुष्टि करने के लिए आपको अधिक संदर्भ और अध्ययन की आवश्यकता होगी।
भगवान राम के वनवास की कथा भारतीय महाकाव्य "रामायण" में विस्तार से वर्णित है। रामायण में राम के वनवास की यात्रा और उसके दौरान हुए घटनाक्रमों का चित्रण किया गया है। यह विशेष रूप से रामायण के अरण्यकांड में पाया जाता है।

कथा के संक्षेप में निम्नलिखित अहम प्रसंग होते हैं:

1. वनवास की घोषणा: राजा दशरथ ने अपने पुत्र राम को अयोध्या के राज्य का वारिस बनाने का वचन दिया था, लेकिन कैकेयी के द्वारा उसे 14 वर्ष के वनवास जाने का आदेश दिया गया। राम, सीता और लक्ष्मण ने इस वचन का पालन करते हुए वनवास के लिए निकल पड़ा।
2. वनवास का प्रारंभ: राम, सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास का प्रारंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को किया।
3. चित्रकूट पर्वत: राम, सीता और लक्ष्मण ने चित्रकूट पर्वत में अपना आश्रय लिया। वहां उन्होंने ऋषियों और संतों के साथ समय व्यतीत किया।
4. पंचवटी: उन्होंने वनवास के दौरान पंचवटी नामक स्थान पर विचरण किया।
5. दंडकारण्य (दंडक वन): राम, सीता, और लक्ष्मण ने दंडकारण्य में वनवास का अधिवास किया, जहां उन्हें अनेक राक्षसी शक्तियों से सामना करना पड़ा।
6. शूर्पणखा वध: दंडकारण्य में, राम ने राक्षसी शूर्पणखा को काट दिया, जिससे राक्षस खर और दूषण नाराज हो गए।
7. सीता का हरण: राक्षस रावण ने अपनी भद्र राक्षसी सहायिकाओं के साथ वनवास में आकर सीता को हरण कर लिया।
8. जटायु का समर: सीता का हरण होने पर, राम और लक्ष्मण ने राक्षसों का सामना किया और जटायु नामक राक्षस के साथ युद्ध किया।
9. शबरी का समर्थन: राम, सीता, और लक्ष्मण ने वन में रहने वाली आदिवासी शबरी के आश्रम में आश्रय लिया, जो उन्हें समर्थन प्रदान करती थीं।
10. हनुमान का मिलना: वनवास के दौरान, राम, सीता, और लक्ष्मण हनुमान भगवान से मिलते हैं, जो बड़े भक्त होते हैं। हनुमान राम को सीता का पता लगाने में मदद करते हैं और रावण के युद्ध में भी समर्थ होते हैं।
मुख्य घटनाएं हैं जो राम के वनवास के दौरान घटीं थीं। रामायण में इसे विस्तार से और उपरोक्त से भी बहुत विवरण से वर्णित किया गया है। यह कथा मानवता, धर्म, कर्तव्य, वचनवद्धता, और नीति के महत्वपूर्ण सन्देशों से भरी है।

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