शनिदेव का दीपक जलाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:/To light the lamp of Shani Dev, follow the following steps:

शनिदेव का दीपक जलाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

सामग्री:

1. एक दिया (मिट्टी का या पीतल का जो शनि देव के लिए उपयुक्त हो)
2. घी या तेल (दिये में जलाने के लिए)
3. बाती (दिये को जलाने के लिए)

प्रक्रिया:

1. ध्यान दें कि शनिदेव के दीपक को अनावश्यक रूप से नहीं बुझाना चाहिए, इसलिए इसे दिनभर जलता रखना आचरणीय नहीं है।
2. शनिवार के दिन, सूर्यास्त के बाद, या भगवान शनि की पूजा और अर्चना के समय, दीवार, मंदिर या पूजा स्थल पर दीपक को जलाना उचित होता है।
3. दिया को धुले हाथों से साफ करें। यदि आप मिट्टी के दीये का उपयोग कर रहे हैं, तो उसे पानी से भरकर कुछ देर के लिए भीगने रखें, ताकि वह जल न सके और दीये को जलाने के लिए अधिक समय रहे।
4. अब दीये में घी या तेल की एक छोटी मात्रा डालें।
5. दीये की बाती को रखें और उसे धीरे से आग लगा दें। ध्यान रखें कि बाती धीरे-धीरे जले, और दीपक धुंदला न रहे।
6. अब दीये को भगवान शनि की मूर्ति, प्रतिमा या तस्वीर के सामने रखें और भक्ति भाव से उनकी पूजा करें।
7. पूजा के बाद, दीया को लंगर या गंगा जल में डालें, या फिर अपने द्वारा निर्मित पितृ तर्पण कुंड में डालें।
ध्यान दें कि दीवार पर दीया जलाने के लिए एक उपयुक्त और सुरक्षित स्थान चुनें, जिससे आग के आसपास कोई आसार न हो। विशेष रूप से, बच्चों और पालतू जानवरों को दीये के पास आने से रोकें।
यह ध्यान रखें कि भगवान की पूजा करते समय, शुद्ध मनसा और विश्वास के साथ करें और समर्पण भाव से अपने पूर्वजों को स्मरण करें। शनिदेव की पूजा करने से भाग्य बढ़ता है और सभी प्रकार के दोषों का निवारण होता है।

शाम को दीपक जलाने का समय निम्नलिखित प्रकार से हो सकता है:

1. सूर्यास्त के समय: एक विकल्प है कि आप शाम को सूर्यास्त के समय दीपक जला सकते हैं। सूर्यास्त का समय रोजमर्रा में बदलता है और भगवान शनि की पूजा का समय भी रोजमर्रा में बदलता है। इसलिए, आपको अपने स्थानीय पंचांग या धार्मिक कैलेंडर से सूर्यास्त का समय और शनि देव की पूजा का समय पता करना होगा। इस समय पर दीपक जलाकर शनिदेव को अर्पित करने से मान्यता मानी जाती है।
2. पूजा के समय: अधिकांश लोग भगवान शनि की पूजा शाम को करते हैं। इस पूजा का समय भी विभिन्न स्थानों पर और धार्मिक संप्रदायों में भिन्न हो सकता है। आपको अपने स्थानीय पंचांग या धार्मिक कैलेंडर से या पूजा के अनुसार शनि देव की पूजा का समय जानना चाहिए और उस समय पर दीपक जलाना चाहिए।
ध्यान रखें कि पूजा के समय दीपक जलाने के लिए एक उपयुक्त और सुरक्षित स्थान चुनें, जहां कोई आसार न हो और दीपक समय से पहले बुझ जाने का संभावना न हो। भगवान की पूजा करते समय भक्ति और श्रद्धा के साथ करें और समर्पण भाव से उन्हें अर्पित करें।

दीपक जलाने के समयआप निम्नलिखित मंत्र, श्लोक या प्रार्थना का जाप कर सकते हैं,

दीपक जलाने के समय आप भगवान की पूजा और अर्चना करते हुए उन्हें अर्पित करते हैं। इस समय आप निम्नलिखित मंत्र, श्लोक या प्रार्थना का जाप कर सकते हैं, जो आपकी धार्मिक अनुष्ठान, संप्रदाय और आपके भावुकता के अनुसार हो सकते हैं:
1. शनि मंत्र (शनि बीज मंत्र):
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः॥
(ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः॥)
2. श्री शनि चालीसा के चुने हुए दोहे या श्लोक।
3. भगवान शनि की आरती: आप भगवान शनि की आरती गाकर भी दीपक जला सकते हैं।
4. अपनी भावना से निकली हुई प्रार्थना: आप अपनी भावना से निकली हुई साधारण सी प्रार्थना भी कर सकते हैं, जैसे कि आप शनि देव से उनके कृपा और आशीर्वाद की मांग कर सकते हैं और अपने दुःखों या समस्याओं का निवारण प्रार्थना कर सकते हैं।
ध्यान रखें कि आपको दीपक जलाते समय भक्ति और श्रद्धा के साथ करना चाहिए और भगवान की पूजा करते समय अपने मन को शांत करके ध्यान में लगाना चाहिए। आप शनि देव के दिशा में अपनी प्रार्थना करें और अपनी समस्याओं का समाधान मांगें। इस रूप में, आप अपनी वास्तविक भावनाएं और संवेदनशीलता से उन्हें समर्पित कर सकते हैं।

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