मंदिर विष्णु के अवतार श्री रंगनाथ स्वामी के लिए प्रसिद्ध है,/The temple is famous for Sri Ranganatha Swamy, an incarnation of Vishnu
मंदिर विष्णु के अवतार श्री रंगनाथ स्वामी के लिए प्रसिद्ध है,
श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित एक प्रमुख हिंदू मंदिर है। यह भारत के चार प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है और भारतीय महासागर के दक्षिणी तट पर स्थित है।श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर श्री विष्णु को समर्पित है और इसका नाम संस्कृत में "भगवान विष्णु के रंग में" अर्थात् "रंगमें विष्णु" से आया है। यह मंदिर विष्णु के अवतार श्री रंगनाथ स्वामी के लिए प्रसिद्ध है, जो लक्ष्मी के साथ शेषनाग पर शयन करते हुए दिखाए जाते हैं।
इस मंदिर का निर्माण चोल राजवंश के शासक धर्मवर्मन द्वारा 1,000 ईसा पूर्व के लगभग किया गया था। स्थानीय पारंपरिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने स्वयं भगवान शिव के प्रतिष्ठान स्थल पर इस मंदिर का निर्माण करवाया था।श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर दक्षिण भारत के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक है और इसका क्षेत्रफल लगभग 156 एकड़ है। मंदिर एक सातहा में बना है और उत्तर से दक्षिण दिशा तक करीब 2.5 किमी लंबा है। यह विश्व के भव्यतम मंदिरों में से एक माना जाता है और स्थानीय और अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करता है।
यह मंदिर भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण प्रतीक है और भक्तों के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थल है। इसकी सुंदर मूर्तियां, वास्तुकला, और धार्मिक माहौल आगंतुकों को आकर्षित करते हैं।
इस मंदिर का निर्माण चोल राजवंश के शासक धर्मवर्मन द्वारा 1,000 ईसा पूर्व के लगभग किया गया था। स्थानीय पारंपरिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने स्वयं भगवान शिव के प्रतिष्ठान स्थल पर इस मंदिर का निर्माण करवाया था।श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर दक्षिण भारत के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक है और इसका क्षेत्रफल लगभग 156 एकड़ है। मंदिर एक सातहा में बना है और उत्तर से दक्षिण दिशा तक करीब 2.5 किमी लंबा है। यह विश्व के भव्यतम मंदिरों में से एक माना जाता है और स्थानीय और अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करता है।
यह मंदिर भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण प्रतीक है और भक्तों के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थल है। इसकी सुंदर मूर्तियां, वास्तुकला, और धार्मिक माहौल आगंतुकों को आकर्षित करते हैं।
श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर का एक महत्वपूर्ण कथा
जो इस मंदिर के संबंध में बताई जाती है। यह कथा मंदिर के सम्बंध में एक प्रमुख कहानी के रूप में मानी जाती है। यहां मैं श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर की एक प्रसिद्ध कथा का संक्षेपशः वर्णन करता हूँ:कथा का नाम: "श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर कथा - भगवान विष्णु का दिव्य अभिषेक"
कथा का संक्षेप: एक समय की बात है, श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर में भगवान विष्णु के मूर्ति पर दिव्य अभिषेक का आयोजन किया गया। मंदिर में अनेक भक्त एकत्रित हो गए और भगवान की कृपा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उन्होंने उस अवसर का भागीदार बनने के लिए खुशी से भाग लिया।धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण इस दिवस पर, मंदिर में भक्तों ने भगवान की प्रतिमा को बहुत सम्मान दिया और उन्हें सुंदर फूलों, धूप, दीपक आदि से सजाया। उन्होंने मंदिर के अलग-अलग भागों में पूजा की और भगवान के लीला गाने और भजनों का आनंद लिया।
अभिषेक के दौरान, पंडितजी ने विशेष वेद मंत्रों का उच्चारण किया और प्रतिमा पर सुगंधित जल से अभिषेक किया। इस समय पर, भक्तों के चेहरे पर आनंद की मुस्कान छा गई और वे भगवान के दर्शन के लिए उत्साहित हो गए।अभिषेक के बाद, भक्तों ने प्रसाद को भोग लिया और भगवान के दर्शन के बाद समाप्त हुआ। इस धार्मिक उत्सव के दौरान, सभी लोग एक-दूसरे के साथ प्रेम और समरसता का अनुभव करते हुए एक खुशहाल माहौल में समाप्त हो गए।यह कथा श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर में होने वाले पूजा और धार्मिक अधिवेशन की उत्साहजनक अनुभूति को दर्शाती है और लोगों को धार्मिकता और एकता के महत्व को समझाती है।
2. यह मंदिर विष्णु के अवतार श्री रंगनाथ स्वामी को समर्पित है, जो लक्ष्मी के साथ शेषनाग पर शयन करते हुए दिखाए जाते हैं।
3. श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर भारत के चार प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है, जिन्हें चार धाम माना जाता है।
4. इस मंदिर का निर्माण चोल राजवंश के शासक धर्मवर्मन द्वारा 1,000 ईसा पूर्व के लगभग किया गया था।
5. श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर का क्षेत्रफल लगभग 156 एकड़ है और यह विश्व के भव्यतम मंदिरों में से एक माना जाता है।
6. यह मंदिर सप्त ताटों (परिक्रमा मार्गों) में बना है और इनमें 21 गोपुरम्स (मंदिर के प्रमुख प्रवेश द्वार) हैं।
7. श्रीरंगम मंदिर में अद्वितीय स्थल गोपालाचर्य का भव्य गुम्बज स्थान है, जिसे गोल कलशों से सुशोभित किया गया है।
8. मंदिर में भगवान विष्णु के संबंध में विभिन्न मंदिरों और स्थलों के प्रतिष्ठान स्थल हैं, जिन्हें सप्तस्थान कहा जाता है।
9. यह मंदिर के भीतर अनेक मंदिर, श्रद्धालु आवास, विद्यालय, बाजार और अन्नक्षेत्र (भोजनालय) जैसी सुविधाएं हैं।
10. श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर में प्रतिदिन नियमित रूप से पूजा, आरती और वेद पाठ की जाती है।
11. मंदिर का समय-समय पर विस्तार और नवीनीकरण कार्य भी किया जाता है ताकि यात्रियों को अधिक सुविधाएं और सुंदरता मिल सके।
12. श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर में हर साल रथयात्रा का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान रंगनाथ स्वामी की मूर्ति को रथ पर सवार किया जाता है।
13. मंदिर के आस-पास स्थित विभिन्न धार्मिक और पर्यटन स्थलों का भी दर्शन किया जा सकता है, जैसे जमुकेश्वर टेंपल, उच्चीप्पर टेंपल आदि।
14. श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर में भक्तों के लिए विशेष वेदिका (पूजा स्थल) और स्वर्ण मंदिर (सोने का मंदिर) है, जो प्राकृतिक शिल्प की श्रेष्ठता को दर्शाते हैं।
15. इस मंदिर को भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है, और भक्तों को शांति और धार्मिकता का अनुभव करने का एक श्रेष्ठ स्थान प्रदान करता है।
कथा का संक्षेप: एक समय की बात है, श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर में भगवान विष्णु के मूर्ति पर दिव्य अभिषेक का आयोजन किया गया। मंदिर में अनेक भक्त एकत्रित हो गए और भगवान की कृपा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उन्होंने उस अवसर का भागीदार बनने के लिए खुशी से भाग लिया।धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण इस दिवस पर, मंदिर में भक्तों ने भगवान की प्रतिमा को बहुत सम्मान दिया और उन्हें सुंदर फूलों, धूप, दीपक आदि से सजाया। उन्होंने मंदिर के अलग-अलग भागों में पूजा की और भगवान के लीला गाने और भजनों का आनंद लिया।
अभिषेक के दौरान, पंडितजी ने विशेष वेद मंत्रों का उच्चारण किया और प्रतिमा पर सुगंधित जल से अभिषेक किया। इस समय पर, भक्तों के चेहरे पर आनंद की मुस्कान छा गई और वे भगवान के दर्शन के लिए उत्साहित हो गए।अभिषेक के बाद, भक्तों ने प्रसाद को भोग लिया और भगवान के दर्शन के बाद समाप्त हुआ। इस धार्मिक उत्सव के दौरान, सभी लोग एक-दूसरे के साथ प्रेम और समरसता का अनुभव करते हुए एक खुशहाल माहौल में समाप्त हो गए।यह कथा श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर में होने वाले पूजा और धार्मिक अधिवेशन की उत्साहजनक अनुभूति को दर्शाती है और लोगों को धार्मिकता और एकता के महत्व को समझाती है।
श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर, तमिलनाडु, भारत के बारे में 15 महत्वपूर्ण तथ्य
1. श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर तमिलनाडु के तिरुचिराप्पल्ली जिले में स्थित है। यह भारतीय महासागर के दक्षिणी तट पर स्थित है.2. यह मंदिर विष्णु के अवतार श्री रंगनाथ स्वामी को समर्पित है, जो लक्ष्मी के साथ शेषनाग पर शयन करते हुए दिखाए जाते हैं।
3. श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर भारत के चार प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है, जिन्हें चार धाम माना जाता है।
4. इस मंदिर का निर्माण चोल राजवंश के शासक धर्मवर्मन द्वारा 1,000 ईसा पूर्व के लगभग किया गया था।
5. श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर का क्षेत्रफल लगभग 156 एकड़ है और यह विश्व के भव्यतम मंदिरों में से एक माना जाता है।
6. यह मंदिर सप्त ताटों (परिक्रमा मार्गों) में बना है और इनमें 21 गोपुरम्स (मंदिर के प्रमुख प्रवेश द्वार) हैं।
7. श्रीरंगम मंदिर में अद्वितीय स्थल गोपालाचर्य का भव्य गुम्बज स्थान है, जिसे गोल कलशों से सुशोभित किया गया है।
8. मंदिर में भगवान विष्णु के संबंध में विभिन्न मंदिरों और स्थलों के प्रतिष्ठान स्थल हैं, जिन्हें सप्तस्थान कहा जाता है।
9. यह मंदिर के भीतर अनेक मंदिर, श्रद्धालु आवास, विद्यालय, बाजार और अन्नक्षेत्र (भोजनालय) जैसी सुविधाएं हैं।
10. श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर में प्रतिदिन नियमित रूप से पूजा, आरती और वेद पाठ की जाती है।
11. मंदिर का समय-समय पर विस्तार और नवीनीकरण कार्य भी किया जाता है ताकि यात्रियों को अधिक सुविधाएं और सुंदरता मिल सके।
12. श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर में हर साल रथयात्रा का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान रंगनाथ स्वामी की मूर्ति को रथ पर सवार किया जाता है।
13. मंदिर के आस-पास स्थित विभिन्न धार्मिक और पर्यटन स्थलों का भी दर्शन किया जा सकता है, जैसे जमुकेश्वर टेंपल, उच्चीप्पर टेंपल आदि।
14. श्रीरंगम राजमहेंद्री मंदिर में भक्तों के लिए विशेष वेदिका (पूजा स्थल) और स्वर्ण मंदिर (सोने का मंदिर) है, जो प्राकृतिक शिल्प की श्रेष्ठता को दर्शाते हैं।
15. इस मंदिर को भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है, और भक्तों को शांति और धार्मिकता का अनुभव करने का एक श्रेष्ठ स्थान प्रदान करता है।
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