नीलकण्ठेश्वर मंदिर उत्तराखंड भगवान शिव को समर्पित है / Neelkantheshwar Temple Uttarakhand dedicated to Lord Shiva

नीलकण्ठेश्वर मंदिर उत्तराखंड भगवान शिव को समर्पित है 

नीलकण्ठेश्वर मंदिर उत्तराखंड राज्य, भारत में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और हिमालय की प्राकृतिक सुंदरता में स्थित होने के कारण यह पर्वतीय इलाके के श्रद्धालुओं के बीच बहुत प्रसिद्ध है।नीलकण्ठेश्वर मंदिर पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने यहां विष का विलय किया था, जिससे शिव के गले का नीला नामक अक्षरक उत्पन्न हुआ था। मंदिर का निर्माण शाखा देवी के भक्त हरख राय ने 17वीं सदी में किया था।यह मंदिर रिषिकेश और हरिद्वार के बीच नीलकण्ठ पहाड़ी के उत्तरी भाग में स्थित है।
मंदिर के आस-पास घने वन्यजीवन, पहाड़ों की गुफाएं और नदी व्यूह इसे एक चरम सौंदर्य्य स्थल बनाते हैं। इसके निकट बहने वाली मंदाकिनी नदी भी मंदिर के दर्शनार्थियों को आकर्षित करती है।नीलकण्ठेश्वर मंदिर वर्षभर पूजा और त्योहारों के लिए श्रद्धालुओं का आकर्षण बना रहता है। शिवरात्रि, सावन मास के मासिक शिवरात्रि, माघ मास के जानकी पूजा, श्रावण मास में कांवड़ यात्रा जैसे अनेक परंपरागत त्योहार यहां मनाए जाते हैं। मंदिर के आस-पास कई धर्मशालाएं और आवास सुविधाएं भी हैं जो श्रद्धालुओं को आरामदायक ठहराव प्रदान करती हैं।

नीलकण्ठेश्वर मंदिर के पीछे एक प्राचीन पौराणिक कथा है,

 जो भगवान शिव के और उनकी पत्नी देवी पार्वती के संबंध में है। यह कथा भारतीय पौराणिक साहित्य के अनुसार निम्नलिखित है:कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों के मध्य समुद्र मंथन का एक बड़ा महायुद्ध हुआ था। इस महायुद्ध के दौरान, हालाहल विष (कटुता वाला विष) उत्पन्न हो गया, जो समुद्र मंथन के कारण अमृत प्राप्ति के दिनों में दिखा।हालाहल विष की गंध और कहर देखकर देवताएं और असुर नहीं सह सके और उन्हें इसका समाधान निकालने के लिए उन्होंने भगवान शिव की सहायता मांगी। भगवान शिव ने इस समस्या का समाधान करने के लिए हालाहल विष को अपने गले में पी लिया, जिससे उनका गला नीला हो गया और उन्हें "नीलकण्ठ" कहा गया।भगवान शिव के इस विशाल धैर्य और साहस के कारण, उन्हें नीलकण्ठेश्वर का नाम मिला और उन्हें उस विष के प्रभाव से बचाने के लिए लोग भगवान शिव की पूजा करने लगे। नीलकण्ठेश्वर मंदिर उसी धार्मिक उत्साह और श्रद्धा के साथ स्थापित हुआ है और आज भी शिवरात्रि और अन्य पर्वों पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए लोग इस मंदिर में आते हैं।

नीलकण्ठेश्वर मंदिर के बारे में  महत्वपूर्ण तथ्य हैं:

1. स्थान: नीलकण्ठेश्वर मंदिर उत्तराखंड राज्य के रूड़की जिले में स्थित है। यह हिमालय की पहाड़ियों के बीच नीलकण्ठ पहाड़ी पर स्थित है।
2. भगवान शिव की पूजा: मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है, जिसे नीलकण्ठेश्वर कहा जाता है। यह मंदिर भगवान शिव के प्रमुख तीर्थस्थानों में से एक है और श्रद्धालुओं का धार्मिक महत्वपूर्ण स्थल है।
3. पूजा और अर्चना: मंदिर में विशेष पूजा और अर्चना प्रथाएं आयोजित की जाती हैं। इसे भगवान शिव के भक्तों और श्रद्धालुओं द्वारा धार्मिकता का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।
4. त्योहार: मंदिर में विभिन्न धार्मिक और परंपरागत त्योहार मनाए जाते हैं। शिवरात्रि, सावन मास के मासिक शिवरात्रि, माघ मास की जानकी पूजा, श्रावण मास की कांवड़ यात्रा आदि महत्वपूर्ण त्योहार इस मंदिर में मनाए जाते हैं।
5. पर्यटन स्थल: नीलकण्ठेश्वर मंदिर पर्यटन के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह पर्वतीय इलाका, घने वन्यजीवन और प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित होने के कारण यात्रियों को आकर्षित करता है।
6. संगठन और सुविधाएं: मंदिर के पास कई धर्मशालाएं और आवास सुविधाएं हैं जो श्रद्धालुओं को आरामदायक ठहराव प्रदान करती हैं।
7. ऐतिहासिक महत्व: नीलकण्ठेश्वर मंदिर का निर्माण 17वीं सदी में हुआ था और यह ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह मंदिर प्राचीन काल से ही धार्मिकता और तपस्या के स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है।ये थे कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जो नीलकण्ठेश्वर मंदिर, उत्तराखंड के बारे में ज्ञात हैं। यह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जो श्रद्धालुओं और यात्रियों को आकर्षित करता है।

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