शनि देव के मंत्रों में सबसे प्रसिद्ध मंत्र है
ॐ शं शनैश्चराय नमः" (Om Sham Shanishcharaya Namah).
यह मंत्र शनि देव को समर्पित है और उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए जाप किया जाता है। यह मंत्र शनि ग्रह की दशा, अनुकूल ग्रह स्थिति और अनुशासन में सहायक होता है।
ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का अर्थ है
- "ॐ" एक प्राणवाची बीज मंत्र है जो सर्वोच्च ब्रह्म को दर्शाता है। यह परमात्मा का प्रतीक है और सबके अंतर्मन को प्रकट करने वाला माध्यम है।
- "शं" शब्द शांति और शुभता की प्रतीक है। यह शांति के साथ सभी दिक्कतों और दुखों को दूर करता है।
- "शनैश्चराय" शनि ग्रह (Saturn) के नाम का एक संयुक्त शब्द है। शनि ग्रह को भगवान शनैश्चर के रूप में भी जाना जाता है। यह ग्रह व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयों, कर्मों, और धार्मिक अनुष्ठान के क्षेत्र में प्रभावी होता है। इस मंत्र का जाप शनि ग्रह के अनुकूलता, शुभता और अनुशासन को प्राप्त करने में सहायक होता है।
- "नमः" अर्थात् नमस्कार और श्रद्धा का व्यक्तिगत अभिवादन है। इसके माध्यम से हम शनि देव को समर्पित होकर उनसे आशीर्वाद लेते हैं।
शनि देव के मंत्र "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप करने का नियम
- प्रातःकाल उठकर, स्नान करके और साफ कपड़े पहनकर एक शनि देव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें। यदि मूर्ति या चित्र नहीं है, तो एक सादा सा पूजा स्थल भी उपयुक्त होता है।
- माला लेकर मंत्र के माला के ग्रहण करें। माला के ग्रहण के बाद मन को शुद्ध करने के लिए एक-दो बार गहरी सांस लें और ध्यान केंद्रित करें।
- अपने मन में शनि देव की ध्यान करें और उन्हें शुभचिंतक और आशीर्वादकारी मानें।
- ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप करें, माला के हर मोती पर एक मंत्र का जाप करते हुए उसे अगले मोती पर ले जाएं। इसी तरीके से जाप को जारी रखें, ध्यान रखें कि मंत्र के जाप की स्पीड स्थिर रहे और जाप के दौरान मन में शनि देव के चित्त स्वरूप का ध्यान रहे।
- जाप को नियमित रूप से कम से कम 108 बार या इसके गुणा के बारह गुणा (1296 बार) करें। यदि आपके लिए इतना जाप करना संभव नहीं है, तो आप किसी अनुकूल संख्या में जाप कर सकते हैं, जैसे 11, 21, 51 आदि।
- जाप के बाद, अपने मन में शनि देव के आशीर्वाद की प्रार्थना करें और उन्हें धन्यवाद दें।
- अंत में, अपने अंगों को धोकर और पवित्र भाव से शनि देव की आराधना को समाप्त करें।
- ध्यान रखें कि आपके मन में किसी भी नकारात्मक विचार को आने न दें, और मन को सकारात्मकता और शुभता की ओर दिशा दें।
- यह मंत्र विशेष रूप से शनिवार के दिन जाप किया जाता है, लेकिन इसे दैनिक जीवन में भी अन्य दिनों पर जाप किया जा सकता है।
ध्यान रहे कि मंत्रों का जाप नियमित रूप से और श्रद्धा भाव से करना चाहिए। शनि देव के मंत्र का जाप करने से जीवन में समृद्धि, सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।शनि देव के मंत्र का नियमित जाप करने से आप उनके आशीर्वाद से समृद्धि, शांति, और सुख की प्राप्ति कर सकते हैं।
"ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तंड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।"
इस मंत्र का अर्थ है
- ॐ" एक प्राणवाची बीज मंत्र है जो सर्वोच्च ब्रह्म को दर्शाता है। यह परमात्मा का प्रतीक है और सबके अंतर्मन को प्रकट करने वाला माध्यम है।
- नीलांजन समाभासं" शनि देव को नील वर्ण धारण किए हुए काया (शरीर) वाले समान्य व्यक्ति की तरह दिखने वाले होने का वर्णन करता है। नीलांजन शब्द का अर्थ है "नीले रंग का जो आंखों पर लगाया जाता है"।
- रविपुत्रं" यहां रवि का पुत्र यानी सूर्यपुत्र, यमराज का भाई हैं जो कि शनि देव हैं।
- यमाग्रजम्" यमराज के भाई होने के कारण शनि को "यमाग्रज" भी कहते हैं।
- छायामार्तंड सम्भूतं" शनि देव छायामार्तंड, अर्थात् छाया और सूर्य के समान प्रकाशमान होने के कारण शनि को छायामार्तंड कहा जाता है। इसका अर्थ है कि शनि देव सूर्य के पुत्र हैं, जो कि छाया देवी और सूर्य देव के पुत्र हैं।
- तं नमामि शनैश्चरम्" अंत में, हम शनि देव को नमस्कार करते हैं और उनकी प्रार्थना करते हैं कि वे हमें शुभचिंतक बनाएं और विपरीत ग्रहों के दोषों का नाश करें ताकि हमारा जीवन सुखमय और समृद्धि से भरा हो।
इस मंत्र के जाप से शनि देव की कृपा प्राप्ति होती है और व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, शांति, और उत्तरदायित्व की प्राप्ति होती है। शनि देव को नमस्कार करने वाले जीवन में संतुलन, धैर्य, और अनुशासन का पालन करते हैं, जो कि उनके आशीर्वाद से उनके जीवन को समृद्धि से भर देते हैं।
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