भगवान विष्णु ध्यान मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवायॐ विष्णवे नम:
ॐ हूं विष्णवे नम:
ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
24 अवतारों के नाम
*-सनकादि*-पृथु
*-वराह
*-यज्ञ (सुयज्ञ)
*-कपिल
*-दत्तात्रेय
*-नर-नारायण
*-ऋषभदेव
*-हयग्रीव
*-मत्स्य
*-कूर्म
*-धन्वन्तरि
*-मोहिनी
*-गजेन्द्र-मोक्षदाता
*-नरसिंह
*-वामन
*-हंस
*-परशुराम
*-राम
*-वेदव्यास
*-नारद
*-कृष्ण
*-वेंकटेश्वर
*-कल्कि
सरूप दास ने सन १७७६ में 'महिमा प्रकाश' नामक एक ग्रन्थ लिखा, जिसमें लिखा है कि-
दोहरा॥
बेद बिदिआ प्रकाश को संकलप धरिओ मन दिआल ॥पंडत पुरान इक्कत्र कर भाखा रची बिसाल ॥
चोपई॥
आगिआ कीनी सतगुर दिआला ॥
बिदिआवान पंडत लेहु भाल ॥
जो जिस बिदाआ गिआता होइ ॥
वही पुरान संग लिआवे सोइ ॥
देस देस को सिख चलाए ॥
पंडत पुरान संगति लिआए ॥
बानारस आद जो बिदिआ ठौरा ॥
पंडत सभ बिदिआ सिरमौरा ॥
सतिगुर के आइ इकत्र सभ भए ॥
बहु आदर सतगुर जी दए ॥
मिरजादाबाध खरच को दइआ ॥
खेद बिभेद काहू नहीं भइआ ॥
गुरमुखी लिखारी निकट बुलाए ॥
ता को सभ बिध दई बणाए ॥
कर भाखा लिखो गुरमुखी भाइ ॥
मुनिमो को देहु कथा सुनाइ ॥
दोहरा ॥
ननूआ बैरागी शिआम कब ब्रहम भाट जो आहा ॥
भई निहचल फकीर गुर बडे गुनग गुन ताहा॥
अवर केतक तिन नाम न जानो ॥
लिखे सगल पुनि करे बिखानो ॥
चार बेद दस अशट पुराना ॥
छै सासत्र सिम्रत आना ॥
चोपई॥
चोबिस अवतार की भाखा कीना॥
चार सो चार चलित्र नवीना॥
भाखा बणाई प्रभ स्रवण कराई॥
भए प्रसन्न सतगुर मन भाई॥
सभ सहंसक्रित भाखा करी ॥
बिदिआ सागर ग्रिंथ पर चड़ी ॥
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