श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर के बारे में जानिए
कर्नाटक राज्य में श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर (Sri Kalahasteeswara Temple) एक प्रमुख हिंदू मंदिर है। यह मंदिर श्रीकालहस्तीश्वर को समर्पित है, जो भगवान शिव के रूप में पूजे जाते हैं। यह मंदिर तिरुपति (Tirupati) से लगभग 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्य की सीमा पर स्थित है। यह मंदिर पवित्र स्वर्णमुखी नदी के किनारे स्थित है और पर्वतीश्वर (Parvati Hills) नामक पहाड़ी के ऊपर बसा हुआ है। यह स्थान धार्मिक महत्व के साथ-साथ पर्यटन का भी प्रमुख केंद्र है।मंदिर का निर्माण शासक कृष्णदेवराय (Krishnadevaraya) के समय में हुआ था और इसे विजयनगर वास्तुकला के शौकीन कलाकारों ने बनाया था। मंदिर में विभिन्न परंपरागत दक्षिण भारतीय वास्तुकला के घटक शामिल हैं, जिनमें गोपुरम् (द्वारपाल) और मंदिर के भित्ति स्तंभ (गर्भगृह में स्थित अग्र पाठल) शामिल हैं।मंदिर में श्रीकालहस्तीश्वर के साथ-साथ श्री गणेश,श्री नंदिकेश्वर, श्री सुब्रह्मण्य, श्री नवग्रह देवताओं, और श्री गरुड़ भगवान की मूर्तियां भी हैं। मंदिर के पास एक सबसे बड़ा आदिवासी मेला भी आयोजित होता है, जिसमें लोग विभिन्न राष्ट्रीयताओं और जनजातियों से आते हैं।
श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर पूरे वर्ष भक्तों को आकर्षित करता है और खासकर महाशिवरात्रि, कार्तिक मास और श्रवण मास में यहां बड़ी भक्ति उमड़ती है। मंदिर का दृश्य सुंदर होता है और धार्मिक महत्व के साथ-साथ इसे देखने के लिए आगंतुकों को भी आकर्षित करता है।कर्नाटक के श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर का एक प्रसिद्ध कथा
कर्नाटक के श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर का एक प्रसिद्ध कथा है जो शिव पुराण (Shiva Purana) में वर्णित है। यह कथा भगवान शिव के प्रेमी भक्त कानपा (Kannappa) के चरित्र के सम्बन्ध में है।कानपा एक भील युवक था जो बहुत भक्तिमय और ईमानदार था। वह बहुत ही समर्पित भक्त था और ध्यानसंयम के बल पर भगवान शिव के चरणों में सदैव रहने की कसम खाता था। वह निरंतर शिव का जप करता था और ध्यान में लगा रहता था।एक बार कानपा शिव मंदिर के प्रवेशद्वार पर शिवलिंग के सामने एक रक्तवर्णी आंत देखता है। वह खून से भरे हुए इस आंत को तत्काल ही अपने आंतरिक दांत से तोड़कर शिवलिंग पर छिड़क देता है ताकि शिवलिंग की पूजा के लिए तिलक के रूप में यह खून चढ़ जाए। यह घटना देवताओं को देखते हुए उन्हें बहुत प्रसन्न करती है।कुछ समय बाद, मंदिर के पूजारी शिवलिंग पर एक आँख दिखते हैं और वे यह सोचते हैं कि कानपा ही इसे छोड़ आया है। उन्होंने इसे हटाने की कोशिश की, लेकिन आंख फिर से प्रकट हो गई। इसके बाद दूसरी आंख भी प्रकट होती है और शिवलिंग पर आंखों की रक्तधारा बहने लगती है। देवताओं ने इसे देखकर तत्परता से कानपा की आराधना करने लगी।इस कथा के अनुसार, कानपा का श्रद्धा और भक्ति भगवान शिव को बहुत प्रिय थी। श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर में आज भी कानपा के नाम से एक संकीर्ण ध्यानाग्रह बनाया गया है, जहां उन्हें समर्पित किए जाने वाले वस्त्र, पूजा सामग्री और आहार की प्रदान की जाती है। कथा के अनुसार, कानपा के आदर्श भक्तिमय चरित्र को देखकर लोग भगवान शिव की प्रेम और समर्पण की अद्भुत उपासना करते हैं।
श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर, कई महत्वपूर्ण तथ्य
1. धार्मिक महत्व: श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर शिव पुराण में वर्णित छह प्रमुख शिव मंदिरों में से एक माना जाता है। यह तीर्थस्थल शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है और भारतीय धर्मशास्त्र में एक प्रमुख पूजा स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।2. स्थान: यह मंदिर आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की सीमा पर स्थित है। यह पवित्र स्वर्णमुखी नदी के किनारे स्थित है और पर्वतीश्वर (Parvati Hills) नामक पहाड़ी के ऊपर बसा हुआ है।
3. ऐतिहासिक महत्व: मंदिर का निर्माण शासक कृष्णदेवराय के समय में हुआ था, जो विजयनगर साम्राज्य के राजा थे। इस मंदिर की स्थापना 16वीं सदी में हुई थी और इसे विजयनगर वास्तुकला के शौकीन कलाकारों ने बनाया था।
4. शिवरात्रि मेला: श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर में हर साल महाशिवरात्रि के दिन एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है। इस मेले में लाखों शिव भक्त और पर्यटक इस मंदिर की यात्रा करते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।
5. आर्किटेक्चर: मंदिर की वास्तुकला में चालुक्य और विजयनगर स्कूल की प्रभावित है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है और अपने आकर्षक गोपुरम (द्वारपालकों के टावर) और सुंदर स्थानक (अन्तरिक्ष) के लिए प्रसिद्ध है।
6. संगठन और पर्यटन: मंदिर के पास एक अच्छी ढंग से व्यवस्थित पर्यटन केंद्र है जो भक्तों और पर्यटकों को आवास, भोजन और अन्य सुविधाएं प्रदान करता है। यहां आपको मंदिर के निकट के पहाड़ी परिक्रमा, पर्यटनिक स्थल और अन्य धार्मिक स्थल भी देखने का अवसर मिलेगा।
श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर कर्नाटक राज्य का एक प्रमुख पूजा स्थल है और यहां के ऐतिहासिक, धार्मिक और कला संबंधी तथ्यों ने इसे एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है।
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