शनिदेव को तेल चढ़ाने की सामान्य प्रक्रिया

शनिदेव को तेल चढ़ाने की सामान्य प्रक्रिया 

शनिदेव को तेल चढ़ाने को शनि देव के पूजन में एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है। यह विधि भारतीय पौराणिक और तांत्रिक परंपरा में प्रचलित है। यहां, मैं शनिदेव को तेल चढ़ाने की सामान्य प्रक्रिया 

सामग्री:

  • शनि देव की मूर्ति या चित्र
  • तेल (तिल का तेल या सरसों का तेल उपयुक्त होता है)
  • दीपक (दीया)
  • धूप और दीप संबंधी सामग्री
  • विधि के अनुसार शनि देव की पूजा के लिए सामग्री (फूल, धूप, अगरबत्ती, आदि)

विधि:

  • शनि देव की पूजा के लिए एक पवित्र स्थान चुनें जैसे मंदिर या पूजा स्थल।
  • पवित्र स्थान पर अपनी ईष्ट देवी-देवता की पूजा करें और उन्हें आशीर्वाद लें।
  • फिर शनि देव की मूर्ति या चित्र को एक पात्री या थाली पर रखें।
  • शनि देव के बीज मंत्र "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" का जप करें, जो उनकी पूजा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस मंत्र का 108 बार जप करें या जितनी बार संभव हो।
  • अब तेल का दीपक (दीया) भरें और उसे रखें।
  • शनि देव की मूर्ति को धूप, दीप, और विशेष भोग (बादाम, घी, चीनी, जैतून, आदि) से पूजें।
  • फिर तेल को अपने दोनों हाथों की अंगुलियों में ले लें और शनि देव के चरणों की ओर उन्मुख करके तेल को उनके पैरों पर चढ़ा दें। इसका मकसद शनि देव के क्रुपा और आशीर्वाद की प्राप्ति है।
  • आखिर में, आप अपनी सारी मांगों को शनि देव के चरणों में रख सकते हैं और उनसे अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।
General process of offering oil to Shani Dev

ध्यान देने योग्य बातें

  1. शनि देव की पूजा शनिवार को करने को विशेष महत्व दिया जाता है।
  2. पूर्वी संस्कृति में बालकों और वृद्धों को शनि देव को तेल चढ़ाने का विशेष दिन माना जाता था।
  3. तेल का दीपक (दीया) तीन दिनों तक जलता रहना चाहिए, जिससे पूजा का महत्व और धार्मिक उद्देश्य पूरा होता है।
ध्यान दें कि ऊपर दी गई पूजा विधि आम तौर पर प्रचलित है, लेकिन व्यक्तिगत साधना और परंपरा के अनुसार कुछ विविधता हो सकती है। पूजा करने से पहले अपने स्थानीय पंडित या पूजारी से परामर्श लेना सुनिश्चित करें और उनके निर्देशानुसार आगे बढ़ें।

दीपक में लौंग (clove) डालकर जलाने

कई धार्मिक और आयुर्वेदिक परंपराओं में मान्यता है।यह अनुष्ठान विशेष उद्दीपनीय कार्य के लिए किया जाता है और इससे कुछ लोग धार्मिक अनुष्ठानों में भी शामिल होता है। इसके पीछे कुछ कारण -
  • सुगंध: लौंग का विशेष सुगंध दीपक जलाने के दौरान वातावरण में एक सुंदर और सुगंधित महसूस कराता है। इससे मानसिक रूप से शांति का अनुभव हो सकता है और आत्मिकता का भाव उत्पन्न हो सकता है।
  • दूरभाग्य: कुछ लोग लौंग को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए उपयोग करते हैं। धार्मिक विश्वासों में इसे भूत-प्रेत और दुश्मनी जैसी नकारात्मक ऊर्जा का नाश करने के लिए भी जलाया जाता है।
  • रोगनाशक गुण: आयुर्वेद में लौंग को रोगनाशक गुणों से भरपूर माना जाता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, और एंटीफंगल गुण होते हैं, जिससे वातावरण में कुछ समय तक विषैली बैक्टीरिया और कीटाणुओं के प्रसार को रोकने में मदद मिलती है।
ध्यान दें कि ये सभी मान्यताएं धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं से संबंधित हैं और आधुनिक विज्ञान ने इन दावों को समर्थित नहीं किया है। दीपक में लौंग को जलाने से पहले आपको अपने धार्मिक या सांस्कृतिक आचारों के अनुसार विचार करना और उचित जानकारी प्राप्त करना चाहिए।

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