शनि देव का उपवास विधि
हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण विधि है। शनि देव को सातवें ग्रह के रूप में पूजा जाता है और शनिवार को उनका विशेष दिन माना जाता है। शनिदेव के उपासना से मान्यता है कि व्यक्ति को शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है और उनकी कृपा से भाग्य, समृद्धि, और सुख बढ़ता है।
शनि देव के उपवास को शुक्रवार को आरम्भ किया जाता है और शनिवार को समाप्त किया जाता है। उपवास का विधि निम्नलिखित है:
1. उपास्य देवता: शनि देव को उपास्य देवता के रूप में चुनें।
2. नियमितता: शनिवार को नियमित रूप से उपवास करें। यह आपके मानसिक और शारीरिक शुद्धि में मदद करता है।
3. स्नान और शुद्धि: उपवास के दिन स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
4. व्रत कथा और कथा सुनना: शनिवार के दिन शनि व्रत कथा सुनें या पढ़ें। इससे आपको शनि देव के विषय में ज्ञान होगा और उनकी कृपा प्राप्त होगी।
5. उपवास का भोजन: शनिवार के दिन व्रती भोजन में शनि देव के पसंदीदा भोजन का ध्यान रखें। शनि देव को तिल, उड़द दाल, काली उरद, काला चना, गुड़, घी, तेल आदि का प्रसाद पसंद होता है।
6. मन्त्र जाप: उपवास के दौरान शनि मंत्रों का जाप करें। "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" यह उनका मूल मंत्र है।
7. पूजा: शनिवार को शनि देव की पूजा करें। इसमें दीप, धूप, फूल, पुष्पांजलि, पानी, अर्चना, आदि शामिल हो सकते हैं।
8. विशेष व्रती: अधिक प्राय: शनि देव के उपासना में कुछ विशेष व्रती द्वारा विधिवत उपवास किया जाता है। उनमें से एक तो काला तिल संग व्रत है, जिसमें उपवासी तिल के साथ खिचड़ी बनाकर खाते हैं।
यह विधि आम रूप से शनि देव के उपवास के अनुसार है। यदि आपके किसी विशेष संदर्भ में कोई अलग विधि है तो उसे अपनाएं। ध्यान रहे कि उपासना और उपवास को श्रद्धापूर्वक और नियमित रूप से करना चाहिए।
2. आसन: पूजा के लिए एक स्थिर और साफ आसन निर्धारित करें।
3. शनि मंत्र: शनि देव के मंत्र का जाप करें। सबसे प्रसिद्ध मंत्र है, "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"। इस मंत्र को माला के साथ 108 बार जपें।
4. पूजा: शनि देव को धूप, दीप, अर्चना, फूल, पुष्पांजलि, जल, और नैवेद्य से पूजें। उन्हें नीले रंग के फूल भी भांपें, क्योंकि शनि देव को नीले रंग का पसंद है।
5. व्रत कथा और कथा सुनना: शनिवार के दिन शनि व्रत कथा सुनें या पढ़ें। इससे आपको शनि देव के विषय में ज्ञान होगा और उनकी कृपा प्राप्त होगी।
6. दान: शनि देव को खुश करने के लिए दान करें। तिल, उड़द दाल, काली उरद, काला चना, गुड़, घी, तेल आदि उनके प्रसाद के रूप में दिए जा सकते हैं।
7. शनि आराधना: उपासना के दौरान शनि देव को अपने मन में स्थान दें और उन्हें भक्ति भाव से आराधना करें।
8. उपासना का समापन: उपासना के बाद आप शनि देव को अपनी इच्छा से अर्पित करें और उन्हें आशीर्वाद दें।
ध्यान दें कि शनि देव की उपासना में श्रद्धा और नियमितता का पालन करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए शनि देव की पूजा को शनिवार को नियमित रूप से करना उत्तम होता है। यदि आपको किसी भी विशेष संदर्भ में समझने में असुविधा हो रही है, तो एक पंडित या धार्मिक व्यक्ति से सलाह लेना भी उपयुक्त होगा।
शनि देव के उपवास को शुक्रवार को आरम्भ किया जाता है और शनिवार को समाप्त किया जाता है। उपवास का विधि निम्नलिखित है:
1. उपास्य देवता: शनि देव को उपास्य देवता के रूप में चुनें।
2. नियमितता: शनिवार को नियमित रूप से उपवास करें। यह आपके मानसिक और शारीरिक शुद्धि में मदद करता है।
3. स्नान और शुद्धि: उपवास के दिन स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
4. व्रत कथा और कथा सुनना: शनिवार के दिन शनि व्रत कथा सुनें या पढ़ें। इससे आपको शनि देव के विषय में ज्ञान होगा और उनकी कृपा प्राप्त होगी।
5. उपवास का भोजन: शनिवार के दिन व्रती भोजन में शनि देव के पसंदीदा भोजन का ध्यान रखें। शनि देव को तिल, उड़द दाल, काली उरद, काला चना, गुड़, घी, तेल आदि का प्रसाद पसंद होता है।
6. मन्त्र जाप: उपवास के दौरान शनि मंत्रों का जाप करें। "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" यह उनका मूल मंत्र है।
7. पूजा: शनिवार को शनि देव की पूजा करें। इसमें दीप, धूप, फूल, पुष्पांजलि, पानी, अर्चना, आदि शामिल हो सकते हैं।
8. विशेष व्रती: अधिक प्राय: शनि देव के उपासना में कुछ विशेष व्रती द्वारा विधिवत उपवास किया जाता है। उनमें से एक तो काला तिल संग व्रत है, जिसमें उपवासी तिल के साथ खिचड़ी बनाकर खाते हैं।
यह विधि आम रूप से शनि देव के उपवास के अनुसार है। यदि आपके किसी विशेष संदर्भ में कोई अलग विधि है तो उसे अपनाएं। ध्यान रहे कि उपासना और उपवास को श्रद्धापूर्वक और नियमित रूप से करना चाहिए।
शनि देव की उपासना करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
1. स्नान और शुद्धि: उपासना से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें। शुद्धि के लिए मन को शांत रखें और ध्यान लगाएं।2. आसन: पूजा के लिए एक स्थिर और साफ आसन निर्धारित करें।
3. शनि मंत्र: शनि देव के मंत्र का जाप करें। सबसे प्रसिद्ध मंत्र है, "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"। इस मंत्र को माला के साथ 108 बार जपें।
4. पूजा: शनि देव को धूप, दीप, अर्चना, फूल, पुष्पांजलि, जल, और नैवेद्य से पूजें। उन्हें नीले रंग के फूल भी भांपें, क्योंकि शनि देव को नीले रंग का पसंद है।
5. व्रत कथा और कथा सुनना: शनिवार के दिन शनि व्रत कथा सुनें या पढ़ें। इससे आपको शनि देव के विषय में ज्ञान होगा और उनकी कृपा प्राप्त होगी।
6. दान: शनि देव को खुश करने के लिए दान करें। तिल, उड़द दाल, काली उरद, काला चना, गुड़, घी, तेल आदि उनके प्रसाद के रूप में दिए जा सकते हैं।
7. शनि आराधना: उपासना के दौरान शनि देव को अपने मन में स्थान दें और उन्हें भक्ति भाव से आराधना करें।
8. उपासना का समापन: उपासना के बाद आप शनि देव को अपनी इच्छा से अर्पित करें और उन्हें आशीर्वाद दें।
ध्यान दें कि शनि देव की उपासना में श्रद्धा और नियमितता का पालन करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए शनि देव की पूजा को शनिवार को नियमित रूप से करना उत्तम होता है। यदि आपको किसी भी विशेष संदर्भ में समझने में असुविधा हो रही है, तो एक पंडित या धार्मिक व्यक्ति से सलाह लेना भी उपयुक्त होगा।
जानें शनिदेव के विधि का महत्व
1. शनिदेव की पूजा और व्रत से भक्तजन शनि के दोषों से बचते हैं और उन्हें शनि की कृपा प्राप्त होती है।
2. शनि जयंती के दिन शनिदेव के विशेष मंत्रों और चालीसा का पाठ करने से भक्तजन को आत्मिक शांति और समृद्धि मिलती है।
3. शनि जयंती के दिन शनिदेव की उपासना करने से धन, संपत्ति, और समृद्धि में वृद्धि होती है।
4. शनि जयंती के दिन शनिदेव की शक्ति और संयम की प्रशंसा की जाती है। यह भक्तजन को अधिक उत्साही और समर्थ बनाता है।
5. शनि जयंती के दिन भक्तजन अपने दुखों और कष्टों को दूर करने के लिए भी विशेष प्रार्थनाएं करते हैं।
ध्यान दें कि शनि जयंती शनिदेव की पूजा और उपासना का विशेष अवसर है और भक्तजन इसे श्रद्धा भाव से मनाते हैं। यह त्योहार धार्मिक एवं सांस्कृतिक मान्यताओं में महत्वपूर्ण है और भक्तजन को शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
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