शिव जी के माता-पिता के बारे में
श्रीमद्देवी भागवत महापुराण में उल्लेख:
श्रीमद्देवी महापुराण में भगवान शिव के माता-पिता के बारे में उल्लेख मिलता है। इसमें कहा गया है कि एक बार नारद जी ने अपने पिता ब्रह्मा जी से प्रश्न किया:
- सृष्टि का निर्माण किसने किया?
- भगवान विष्णु, भगवान शिव और आपके पिता कौन हैं?
इस पर ब्रह्मा जी ने उत्तर दिया:
- देवी दुर्गा (आदि शक्ति) और शिव स्वरूप काल सदाशिव के योग से त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) की उत्पत्ति हुई।
- देवी दुर्गा को प्रकृति स्वरूपा कहा गया है, और वे ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश की माता हैं।
- काल सदाशिव को परम पिता कहा गया है, जो निराकार और ब्रह्म स्वरूप माने जाते हैं।
काल सदाशिव और दुर्गा: सृष्टि के मूल स्रोत
- काल सदाशिव:
- काल सदाशिव ब्रह्मांड के परे स्थित एक अनंत और निराकार चेतना हैं।
- वे सृष्टि के आधार हैं और परम पुरुष माने जाते हैं।
- देवी दुर्गा:
- देवी दुर्गा को प्रकृति का मूल स्रोत माना जाता है।
- वे शक्ति और सृजन की अधिष्ठात्री देवी हैं।
- वे ही सभी देवताओं की माता और समस्त ऊर्जा का स्रोत हैं।
त्रिदेवों की उत्पत्ति
ब्रह्मा जी के अनुसार:
- देवी दुर्गा और काल सदाशिव के दिव्य संयोग से पहले ब्रह्मा, विष्णु और महेश की रचना हुई।
- इसके बाद सृष्टि के विस्तार के लिए त्रिदेवों ने अपने-अपने कार्य संभाले:
- ब्रह्मा: सृष्टि का निर्माण।
- विष्णु: सृष्टि का पालन।
- महेश (शिव): सृष्टि का संहार।
शिव की दिव्यता
भगवान शिव के माता-पिता के इस विवरण से यह स्पष्ट होता है कि वे स्वयं सृष्टि के मूल में स्थित परम तत्व का हिस्सा हैं। हालांकि, वे अनादि और स्वयंभू भी माने जाते हैं, जो यह दर्शाता है कि उनकी उत्पत्ति और अस्तित्व से परे कोई भी साधारण मान्यता काम नहीं करती।
इस प्रकार, भगवान शिव के माता-पिता को समझने के लिए हमें उनकी निराकार और साकार दोनों ही स्वरूपों को स्वीकार करना होगा।
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