शनि देव के 15 मंत्र और उनके अर्थ सहित
यह मंत्र शनि देव के शुभ आशीर्वाद प्राप्त करने और उनसे संबंधित दुर्भाग्य और संकटों का निवारण करने के लिए जाप किए जाते हैं।
1. ॐ शां शनैश्चराय नमः (Om Shaam Shanishchray Namah)
अर्थ: ओम्, मैं शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
2. ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
अर्थ: ओम्, मैं नीलांजन समान रूप धारण करने वाले, रवि के पुत्र, यमराज के भाई, छाया और मार्तण्ड (सूर्य) की सृष्टि से उत्पन्न, उस शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
3. नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
अर्थ: मैं नीलांजन समान रूप धारण करने वाले, रवि के पुत्र, यमराज के भाई, छाया और मार्तण्ड (सूर्य) की सृष्टि से उत्पन्न, उस शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
4. ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
अर्थ: ओम्, मैं नीलांजन समान रूप धारण करने वाले, रवि के पुत्र, यमराज के भाई, छाया और मार्तण्ड (सूर्य) की सृष्टि से उत्पन्न, उस शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
5. ॐ शनैश्चराय नमः (Om Shanishchray Namah)
अर्थ: ओम्, मैं शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
6. शनैश्चराय नमः (Shanishchray Namah)
अर्थ: मैं शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
अर्थ: ओम्, मैं शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
2. ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
अर्थ: ओम्, मैं नीलांजन समान रूप धारण करने वाले, रवि के पुत्र, यमराज के भाई, छाया और मार्तण्ड (सूर्य) की सृष्टि से उत्पन्न, उस शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
3. नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
अर्थ: मैं नीलांजन समान रूप धारण करने वाले, रवि के पुत्र, यमराज के भाई, छाया और मार्तण्ड (सूर्य) की सृष्टि से उत्पन्न, उस शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
4. ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
अर्थ: ओम्, मैं नीलांजन समान रूप धारण करने वाले, रवि के पुत्र, यमराज के भाई, छाया और मार्तण्ड (सूर्य) की सृष्टि से उत्पन्न, उस शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
5. ॐ शनैश्चराय नमः (Om Shanishchray Namah)
अर्थ: ओम्, मैं शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
6. शनैश्चराय नमः (Shanishchray Namah)
अर्थ: मैं शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
7. ॐ शम शनैश्चराय नमः (Om Sham Shanishchray Namah)
अर्थ: ओम्, मैं शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
8. ॐ शन्नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंयोरभिस्रवन्तु नः।
अर्थ: ओम्, हे देवी-देवताओं, कृपा करके हमें स्वर्गगामी गुणवान और जीवन के शुभ-अशुभ कर्मों का फल भोगने वाले बनाओ, हमारी सारी पापात्मक वासनाएं और दुष्टताएँ धूप समान बह जाएं।
9. ॐ शन्नॊ देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंयोरभिस्रवन्तु नः॥
अर्थ: ओम्, हे देवी-देवताओं, कृपा करके हमें स्वर्गगामी गुणवान और जीवन के शुभ-अशुभ कर्मों का फल भोगने वाले बनाओ, हमारी सारी पापात्मक वासनाएं और दुष्टताएँ धूप समान बह जाएं।
10. ॐ शनैश्चराय नमः (Om Shanishchray Namah)
अर्थ: ओम्, मैं शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
11. ॐ शनैश्चराय नमः (Om Shanishchray Namah)
अर्थ: ओम्, मैं शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
12. ॐ शं शनैश्चराय नमः (Om Sham Shanishchray Namah)
अर्थ: ओम्, मैं शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
13. ॐ शनैश्चराय नमः (Om Shanishchray Namah)
अर्थ: ओम्, मैं शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
14. ॐ शनैश्चराय नमः (Om Shanishchray Namah)
अर्थ: ओम्, मैं शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
15. ॐ शनैश्चराय नमः (Om Shanishchray Namah)
अर्थ: ओम्, मैं शनि देव को नमस्कार करता हूँ।
यहां दिए गए मंत्र और उनके अर्थ साधारणतया विद्यमान होते हैं। आपको इन मंत्रों का जाप निरंतर और भक्ति भाव से करना चाहिए, ताकि आप शनि देव के कृपालु हों और आपके जीवन में सुख शांति का वास हो।
शनि देव से संबंधित कुछ रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य
शनि देव एक प्रमुख हिन्दू देवता हैं, जो भगवान शिव और देवी उमा के पुत्र हैं। यहां कुछ रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य हैं जो शनि देव से संबंधित हैं:1. शनि देव को "कर्मफलदाता" के रूप में जाना जाता है, जो कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं।
2. शनि देव का वाहन क्रौंच (कौआ) है, जिसे वाहन भी माना जाता है।
3. शनि देव को भगवान शिव और देवी उमा के बड़े पुत्र के रूप में जाना जाता हैं।
4. शनि देव का व्यक्तित्व गहरा और विचारशील माना जाता है, और वे न्यायप्रिय होते हैं।
5. शनि देव का प्रतिक घड़ी का है, जिसका उदगम भाग तैतल में होता है, जिसका संबंध जीवन के कष्टों और चुनौतियों से होता है।
6. शनि देव को अंग्रेजी में "सैटर्न" के नाम से जाना जाता है, जिसका राशि चक्र में एक अलग ग्रह है।
7. शनि देव का वर्णन प्राचीन पुराणों और वेदों में मिलता है, जैसे कि वाल्मीकि रामायण, महाभारत और पुराण।
8. शनि देव को गंगा और देवी उमा ने गोद लिया था और उनके शरीर पर बहुत से श्रेष्ठ रत्नों की माला धारण कर रखी थी।
9. शनि देव की उपासना का विशेष महत्व शनिवार को अर्चना, पूजा और व्रत द्वारा किया जाता है।
10. शनि देव का दिव्य ध्वज नीला रंग का होता है, जिस पर काले रंग के छाया का चित्रण होता है।
11. शनि देव को शान्ति और उचित रणनीति के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है।
12. शनि देव का जाप विशेष रूप से शनि दशा, साडे साती और धैया के समय अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
13. शनि देव की प्रसन्नता से लाभ प्राप्त करने के लिए कालसर्प दोष निवारण, पुण्य कार्य, धार्मिक कार्य और नेकी करने से मान्यता का संबंध है।
14. शनि देव के मंत्रों का जाप करने से भगवान की कृपा मिलती है और भयंकर दोषों से रक्षा होती है।
15. शनि देव को विशेष रूप से भूत-प्रेतों का स्वामी और न्यायाधीश के रूप में भी जाना जाता है।
ये कुछ रोचक और महत्वपूर्ण तथ्य हैं जो शनि देव से संबंधित हैं। ध्यान दें कि शनि देव के अध्ययन, उपासना और भक्ति से व्यक्ति को समृद्धि, सफलता और शांति की प्राप्ति हो सकती है।
शनि देव का एकाक्षरी मंत्र है
"ॐ शं शनैश्चराय नमः"।
- "शं" - यह शांति, शुभकामना, शांति, समृद्धि और धैर्य की प्रतीक है।
- "शनैश्चराय" - यह शनि देवता के नाम हैं, जो कर्मों के अनुसार फल प्रदान करने वाले ग्रह हैं। इनकी उपासना से कर्मफल की वृद्धि होती है और शांति प्राप्त होती है।
- "नमः" - यह वंदना या प्रणाम का अर्थ है, इससे भक्त अपनी भक्ति और समर्पण प्रकट करता है।
इस मंत्र का जाप शनि देव की कृपा, समृद्धि, धैर्य और शांति की प्राप्ति के लिए किया जाता है। शनि देव की उपासना विशेष रूप से शनि दशा, साडे साती और धैया के समय महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से शनि देव की कृपा मिलती है और भयंकर दोषों से रक्षा होती है।
इस मंत्र का अर्थ है:
- "ॐ" - यह ब्रह्मांड के प्रारंभिक शब्द "ओम" है, जो सबसे मूल मंत्र है। इसका जाप ध्यान को स्थिर और शांत करने के लिए किया जाता है।- "शं" - यह शांति, शुभकामना, शांति, समृद्धि और धैर्य की प्रतीक है।
- "शनैश्चराय" - यह शनि देवता के नाम हैं, जो कर्मों के अनुसार फल प्रदान करने वाले ग्रह हैं। इनकी उपासना से कर्मफल की वृद्धि होती है और शांति प्राप्त होती है।
- "नमः" - यह वंदना या प्रणाम का अर्थ है, इससे भक्त अपनी भक्ति और समर्पण प्रकट करता है।
इस मंत्र का जाप शनि देव की कृपा, समृद्धि, धैर्य और शांति की प्राप्ति के लिए किया जाता है। शनि देव की उपासना विशेष रूप से शनि दशा, साडे साती और धैया के समय महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से शनि देव की कृपा मिलती है और भयंकर दोषों से रक्षा होती है।
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