भगवान शिव का एक आंसू, जिसे कहते हैं "शिव नेत्र" कहाँ कहां गिरा / A tear of Lord Shiva, called "Shiva Netra", where did it fall?
भगवान शिव का एक आंसू, जिसे कहते हैं "शिव नेत्र" कहाँ कहां गिरा
ऐसी मान्यता है कि माता सती की मृत्यु के बाद उनके वियोग में भगवान शिव यहां आकर पहली बार रोये थे।
पौराणिक कथाओं अनुसार माता सती ने अपने पिता दक्ष द्वारा शिव जी का अपमान होता देख हवन कुंड में आत्मदाह कर लिया था। सती का वियोग भगवान शिव बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे।इस दुख से मुक्ति पाने के लिए वो कटस नाम की एक जगह पर पहुंचे जहां उन्होंने अपने आंसुओं को बहने दिया। मान्यताओं अनुसार शिव के बहते आंसुओं से दो कुंड का निर्माण हुआ।पहला पाकिस्तान के कटस में स्थित कटाक्ष कुंड और दूसरा राजस्थान के पुष्कर स्थित कुंड।
कटस मंदिर के कटाक्ष कुंड का पानी दो रंगों में दिखाई पड़ता है। कुंड की शुरुआत में हरे रंग का पानी और ज्यादा गहराई में जाने पर नीले रंग का पानी दिखाई देता है।
एक ऐसा पौराणिक शिव मंदिर है जो करीब 900 साल पुराना बताया जाता है। ये मंदिर पाकिस्तान के कटसराज नाम के स्थान पर मौजूद है।
इस जगह को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां अपने 12 साल के वनवास के दौरान पांडव भी रहे थे। ऐसा कहा जाता है कि कई वनों में भटकने के दौरान जब पांडवों को प्यास लगी तो वो इसी कटाक्ष कुंड में गये थे।जहां यक्ष रहता था.
जिस पर उसने एक-एक कर चार पांडवों से जल पीने से पहले सवाल-जवाब किये और उनको मूर्छित कर दिया. आखिर में युधिष्ठिर आये और उन्होंने यक्ष के सारे सवालों का सही-सही जवाब दिया जिसके बाद यक्ष ने सभी पांडवों की चेतना वापस कर दी और जल पीने की अनुमति दी. यहां अधिकतर मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं. कुछ मंदिर भगवान हनुमान और राम को भी समर्पित हैं. इस परिसर के भीतर एक प्राचीन गुरुद्वारा के अवशेष भी हैं. कहा जाता है कि इसी गुरुद्वारा के भीतर कभी नानक ने यात्रा के दौरान निवास किया था. यह मंदिर पाकिस्तानी पंजाब के उत्तरी भाग में नमक कोह पर्वत शृंखला में स्थित है. यह मंदिर हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है, जिसका निर्माण खटाना गुर्जर राजवंश ने करवाया था. यहां मंदिरों की श्रृंखला है जो दसवीं शताब्दी के बताये जाते हैं.
जिस पर उसने एक-एक कर चार पांडवों से जल पीने से पहले सवाल-जवाब किये और उनको मूर्छित कर दिया. आखिर में युधिष्ठिर आये और उन्होंने यक्ष के सारे सवालों का सही-सही जवाब दिया जिसके बाद यक्ष ने सभी पांडवों की चेतना वापस कर दी और जल पीने की अनुमति दी. यहां अधिकतर मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं. कुछ मंदिर भगवान हनुमान और राम को भी समर्पित हैं. इस परिसर के भीतर एक प्राचीन गुरुद्वारा के अवशेष भी हैं. कहा जाता है कि इसी गुरुद्वारा के भीतर कभी नानक ने यात्रा के दौरान निवास किया था. यह मंदिर पाकिस्तानी पंजाब के उत्तरी भाग में नमक कोह पर्वत शृंखला में स्थित है. यह मंदिर हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है, जिसका निर्माण खटाना गुर्जर राजवंश ने करवाया था. यहां मंदिरों की श्रृंखला है जो दसवीं शताब्दी के बताये जाते हैं.
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