भगवान विष्णु कहां है जानिए ,/ Know where is Lord Vishnu,

 भगवान विष्णु कहां है जानिए ,

भगवान विष्णु हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता माने जाते हैं। विष्णु देवता को सर्वत्र व्याप्ति की उपस्थिति के रूप में समझा जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि विष्णु देवता स्वयं भगवान के सबसे प्रमुख अवतार हैं, जिनमें श्रीराम, श्रीकृष्ण, वामन, परशुराम, नरसिंह, बुद्ध, कल्कि, आदि शामिल हैं।
विष्णु देवता की उपासना और भक्ति हिंदू धर्म के अनेक स्थानों पर की जाती है, जैसे मंदिरों में, गृहों में, और विष्णु देवता के अलग-अलग अवतारों के प्रतिष्ठानों में। भक्त विष्णु के ध्यान में रहते हैं और उन्हें समर्पित होकर अपनी इच्छाओं और मांगों को प्रस्तुत करते हैं।
इसके अलावा, विष्णु के आविर्भाव का उल्लेख पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में किया गया है, जहां उनके अवतारों का वर्णन और जीवन कथा दी गई है। हिंदू धर्म के अनुसार, विष्णु देवता नित्य और सर्वत्र मौजूद रहते हैं, परंतु उनका विशेष आविर्भाव और अवतार लोगों की सहायता और धर्म की रक्षा के लिए होता है।

धार्मिक दृष्टि से, विष्णु देवता की आधिकारिक स्थान या ठिकाना कहीं नहीं है, क्योंकि वे अद्वितीय और अनंत हैं। यदि आप उनकी उपासना करना चाहते हैं, तो आप मंदिरों या अपने घर में उनकी मूर्ति या छवि के सामने पूजा कर सकते हैं और उन्हें अपनी प्रार्थनाओं और भक्ति की अभिव्यक्ति कर सकते हैं।
 भगवान विष्णु की पूजा के लिए विशेष मंत्रों, स्तोत्रों और आरतियों का पाठ किया जाता है,

भगवान विष्णु की पूजा के दौरान विशेष मंत्रों, स्तोत्रों और आरतियों का पाठ किया जाता है। ये मंत्र, स्तोत्र और आरतियाँ उनके भक्तों द्वारा प्रयोग किए जाते हैं ताकि उन्हें भगवान विष्णु के साथ अधिक संबंध और समर्पण का अनुभव हो सके। यहां कुछ प्रमुख मंत्र, स्तोत्र और आरतियाँ दी गई हैं जानिए ,

विष्णु मंत्र:

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।


"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का अर्थ , 

"हे भगवान वासुदेव, मैं तुझे नमस्कार करता हूँ।"

यह मंत्र विष्णु भगवान को समर्पित होता है, जिन्हें "वासुदेव" भी कहा जाता है। इस मंत्र के द्वारा भक्त अपने मन, शरीर और आत्मा को भगवान के चरणों में समर्पित करता है और उन्हें नमस्कार करता है। यह मंत्र विष्णु भगवान के प्रमुख नामों में से एक है, जो उनके आदि रूप और परमात्मा की प्रशंसा करने के लिए उपयोग किया जाता है।

यह मंत्र विष्णु भगवान के भक्ति, समर्पण और आध्यात्मिक अनुभव को प्रोत्साहित करता है। इसका जाप करने से मन को शांति, ध्यान और आत्मिक संयम प्राप्त होता है। यह मंत्र विष्णु भक्तों द्वारा नियमित रूप से जपा जाता है और पूजा, व्रत और धार्मिक उत्सवों के दौरान उपयोग किया जाता है।

विष्णु चालीसा:

विष्णु चालीसा भगवान विष्णु की प्रशंसा और भक्ति का एक संकलन है। इसे पाठ करने से भगवान के आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।विष्णु आरती:
विष्णु आरती भगवान विष्णु की आराधना के लिए गाई जाती है। यह आरती उनके गुणों, महिमा और प्रसन्नता का वर्णन करती है।
इन मंत्रों, स्तोत्रों और आरतियों को नियमित रूप से पठने से भगवान विष्णु के भक्तों को मानसिक शांति, आनंद और समृद्धि मिलती है। यदि आप विष्णु देवता की पूजा करना चाहते हैं, तो इन मंत्रों, स्तोत्रों और आरतियों को पठने के साथ-साथ अपने श्रद्धा और भक्ति को भी संजोये।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय। 
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
यह मंत्र भगवान विष्णु के प्रमुख मंत्रों में से एक है। इस मंत्र का पाठ करने से भगवान वासुदेव (विष्णु) की कृपा, आशीर्वाद और समर्पण प्राप्त होता है। यह मंत्र उनकी उपासना और भक्ति में महत्वपूर्ण रूप से उपयोग किया जाता है। यदि आप इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करना चाहें, तो इसे ध्यान और श्रद्धा से पठें। यह आपको आत्मिक शांति, सुख, और विष्णु भक्ति के अनुभव में सहायता करेगा।

विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र:

विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र, भगवान विष्णु के हजारों नामों का संग्रह है। यह स्तोत्र महाभारत के आदि पर्व (अध्याय 149-154) में उल्लेखित है। इस स्तोत्र में हर एक नाम भगवान विष्णु के गुणों, महिमा और आदेशकों को प्रकट करता है। विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करने से भगवान की कृपा, आशीर्वाद, और आनंद प्राप्त होते हैं।
यहां विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र के कुछ प्रमुख नामों का उल्लेख किया गया है:
विश्वम् - जो सम्पूर्ण विश्व का सृजनहारी है।
विष्णुः - जो सभी जगत् को व्याप्त करने वाला है।
वीरः - जो सभी शौर्य गुणों से युक्त हैं।
यज्ञः - जो समस्त यज्ञों का स्वामी हैं।
भूतभव्यभवत्प्रभुः - जो सभी कालों में महाप्रभु हैं।
योगः - जो सम्पूर्ण योगों का स्वामी हैं।
विभुः - जो सम्पूर्ण जगत् को व्याप्त करने वाले हैं।
पुरुषः - जो सम्पूर्ण प्राणियों का आदि पुरुष हैं।
सर्वदृक् - जो सभी को देखने वाले हैं।
अच्युतः - जो कभी न तोड़ते हैं, न नष्ट होते हैं।
विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र में और भी बहुत से नाम हैं जो भगवान विष्णु के विभिन्न गुणों और पराक्रम को प्रकट करते हैं। इस स्तोत्र को नियमित रूप से पठने से भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।

विष्णु चालीसा:

विष्णु चालीसा भगवान विष्णु की प्रशंसा और भक्ति का एक संकलन है। इस चालीसा में विष्णु भगवान के गुणों, महिमा और लीलाओं का वर्णन होता है। विष्णु चालीसा का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा, आशीर्वाद और प्रसन्नता प्राप्त होती है। यह चालीसा विष्णु के भक्तों द्वारा नियमित रूप से पठी जाती है।
यहां विष्णु चालीसा के कुछ पंक्तियों का उल्लेख किया गया है:
जय जय विष्णु जनक सुखदाता।
जय जय विष्णु वरदाता॥
मया सत्य, मया भ्रम, मया जगत त्राणकारी।
मया प्रथम पुरुष ज्ञान, मया मुनि जन प्यारी॥
चरण सरस्वति, चरण सहस्त्रनाम।
चरण सम्पूर्ण सुर आदि क्रम॥
चरण सरदा, चरण कुण्डल धारी।
चरण सम्पत्ति, चरण धनधानी॥
विष्णु चालीसा के अधिकांश भाग देवनागरी लिपि में लिखे गए हैं। यदि आप विष्णु चालीसा को पूरी रूप से पठना चाहें, तो आप उसे ध्यान और श्रद्धा से पठ सकते हैं। इससे आपको भगवान विष्णु की कृपा, आशीर्वाद और सुख प्राप्त हो सकता है।

विष्णु आरती:

विष्णु आरती भगवान विष्णु की प्रशंसा और भक्ति का एक प्रमुख आरती है। यह आरती भगवान विष्णु के गुणों, महिमा और लीलाओं का वर्णन करती है और उनके पूजन के समय गाई जाती है। विष्णु आरती के पाठ से भगवान विष्णु की कृपा, आशीर्वाद और प्रसन्नता प्राप्त होती है। यह आरती विष्णु के भक्तों द्वारा नियमित रूप से पठी जाती है।
यहां विष्णु आरती के कुछ पंक्तियों का उल्लेख किया गया है:
जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट॥
दूर करो द्वारा, सब कष्ट मुक्ति करो।
श्री स्वामी जय जगदीश हरे॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।
मैं मूझको संभालो, अपने चरणों में रखो॥
विष्णु आरती के अधिकांश भाग देवनागरी लिपि में लिखे गए हैं। यदि आप विष्णु आरती को पूरी रूप से पठना चाहें, तो आप उसे ध्यान और श्रद्धा से पठ सकते हैं। इससे आपको भगवान विष्णु की कृपा, आशीर्वाद और सुख प्राप्त हो सकता है।




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