भगवान विष्णु धन्वंतरि अवतार की कथा निम्नलिखित है /Following is the story of Lord Vishnu Dhanvantari Avatar

भगवान विष्णु धन्वंतरि अवतार की कथा निम्नलिखित है:

भगवान विष्णु धन्वंतरि अवतार की कथा :-

एक समय की बात है, देवताओं और असुरों के बीच अमृत की प्राप्ति के लिए संग्राम चल रहा था। देवताओं को अमृत पीने का अधिकार ही मन्त्रों की शक्ति के कारण था और वे अमर होने की इच्छा रखते थे। देवताओं की जीत होने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार धारण किया और अमृत की विभाजन प्रक्रिया का प्रबंधन किया।
मोहिनी अवतार में, भगवान विष्णु ने सुंदर और आकर्षक रूप धारण किया। वे देवी तारका की तरह प्रकट हुए, जो असुरों की मोहिनी बनने की इच्छा से उत्पन्न हुई थी। मोहिनी रूप में, भगवान विष्णु अमृत कलश को लेकर देवताओं के सामने आए और असुरों के सामर्थ्य को मोहित करने के लिए अपनी लालसा और विवेक को छिपाए रखा।
देवताओं और असुरों के बीच विभाजन के समय, मोहिनी ने अमृत कलश को देवताओं को ही दिया जबकि असुरों को दिखाया गया कि उन्हें अमृत नहीं मिलेगा। इस प्रकार, देवताओं को अमृत का प्राप्त हो गया और वे अमर हो गए।
हालांकि, एक असुर नामित राजा धन्वंतरि भगवान विष्णु के विभाजन के दौरान अमृत के द्वारा नहीं लाभान्वित हो सका क्योंकि वह उस समय देवताओं के साथ सो रहा था। वह जाग उठा और अपने दोस्तों को अमृत के द्वारा बांटने का दावा करने लगा। इससे असुरों और देवताओं के बीच एक नया संघर्ष शुरू हुआ।
इस संघर्ष में, भगवान विष्णु ने अपने धन्वंतरि अवतार को प्रकट किया, जो आयुर्वेदिक चिकित्सा के संदेशवाहक थे। धन्वंतरि अवतार ने असुरों को एक विशेष औषधि दी, जिससे उनके रोग ठीक हो गए और उन्हें स्वस्थ्य प्राप्त हुआ। इस प्रकार, भगवान धन्वंतरि ने असुरों की मदद करके देवताओं के पक्ष में उलझे संघर्ष को समाप्त किया और सुरक्षा स्थापित की।
धन्वंतरि अवतार का उद्भव, चिकित्सा और आयुर्वेद में उनका महत्वपूर्ण स्थान है। वे सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु के सन्देशवाहक हैंऔर सभी रोगों के निवारण और स्वास्थ्य के संरक्षण के लिए मान्यता प्राप्त हैं। आजकल धन्वंतरि दिवस के रूप में मनाया जाता है जब लोग उनकी पूजा और आराधना करते हैं ताकि स्वास्थ्य और उन्नति की कामना की जा सके।

भागवत विष्णु धन्वंतरि अवतार के 20 महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत हैं।

1. विष्णु धन्वंतरि अवतार भगवान विष्णु के एक अवतार माने जाते हैं।

2. उनका अवतार दिवस धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर-नवम्बर माह में मनाई जाती है।

3. धन्वंतरि देवता को औषधि और चिकित्सा के देवता के रूप में मान्यता प्राप्त है।

4. विष्णु धन्वंतरि अवतार में, उन्होंने देवताओं को अमृत की प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन के दौरान सहायता की।

5. धन्वंतरि देवता असुर वृकासुर को मोहित कर उसे मार डाले।

6. उन्होंने वृकासुर को औषधियों की प्रदान की, जिन्हें वृकासुर ने देवताओं के लिए उपयोग किया।

7. धन्वंतरि देवता चिकित्सा और औषधि विज्ञान के क्षेत्र में महानता के प्रतीक माने जाते हैं।

8. धन्वंतरि जयंती के दिन औषधि विज्ञान, स्वास्थ्य और चिकित्सा के महत्व को याद किया जाता है।

9. उन्हें रत्नों, अमृत और दिव्य औषधियों का ज्ञान प्राप्त है।

10. विष्णु धन्वंतरि अवतार मानवता को स्वस्थ जीवन के लिए ध्यान देने की प्रेरणा देते हैं।

11. उन्हें संगठन और व्यवस्था का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि उन्होंने अपार औषधि ज्ञान का वितरण किया।

12. धन्वंतरि देवता की पूजा और आराधना से लोग स्वास्थ्य, उपचार और रोगनिरोधक आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

13. विष्णु धन्वंतरि अवतार में, उन्होंने देवताओं की सहायता के माध्यम से मानव जीवन को शुद्ध, स्वस्थ और सुरक्षित बनाने का प्रयास किया।

14. उनकी प्रतिष्ठा वैद्यकीय समुदायों और चिकित्सा पेशेवरों द्वारा अत्यधिक मान्यता प्राप्त है।

15. उनके अवतार में, विष्णु ने वैद्यकीय क्षेत्र में अपार ज्ञान और महत्त्वपूर्ण योगदान किया।

16. धन्वंतरि देवता के उपासकों को स्वस्थ्य और उत्तम जीवन जीने के लिए ध्यान और धार्मिक नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है।

17. उन्होंने दुर्गुणों को नष्ट करके धर्म की रक्षा की और वैद्यकीय क्षेत्र में ज्ञान का प्रचार किया।

18. विष्णु धन्वंतरि अवतार में, धर्म के प्रतीक रूप में धर्म का पालन करने की महत्त्वपूर्ण संदेश दिया गया है।

19. विष्णु धन्वंतरि अवतार की कथा मानव समाज में औषधि विज्ञान, चिकित्सा और स्वास्थ्य के महत्व को प्रतिष्ठित
 करती है।

20. विष्णु धन्वंतरि अवतार मानव जीवन में उत्कृष्टता, उपचार और स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

भागवत विष्णु धन्वंतरि अवतार का मंत्र निम्नलिखित है:

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतरये अमृतकलश हस्ताय सर्वरोग विनाशाय सर्वामय विनाशाय सर्वदुःख निवारणाय परम आयुष्य स्वरूपाय आदिपुरुषाय महाविष्णवे नमः॥

यह मंत्र धन्वंतरि देवता को समर्पित है और इसका अर्थ है:

"ॐ - हे भगवान वासुदेव, आपको नमस्कार। हे धन्वंतरि देवता, आपके हाथ में अमृत कलश है। आप सभी रोगों का नाश करने के लिए हैं, सभी व्याधियों का नाश करने के लिए हैं, सभी दुखों का निवारण करने के लिए हैं। आप परम आयुष्य के स्वरूप हैं, आदिपुरुष हैं, महाविष्णु हैं। हम आपको नमस्कार करते हैं॥"
यह मंत्र भगवान विष्णु धन्वंतरि अवतार के प्रतिष्ठित मंत्र है और इसे जाप करने से उनकी कृपा, आशीर्वाद, औषधीय शक्ति और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यह मंत्र चिकित्सा क्षेत्र में उपयोग किया जाता है और रोगों के उपचार और स्वास्थ्य के लिए आराधना किया जाता है।


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