देश के प्रसिद्ध 5 सूर्य मंदिर/ Famous 5 sun temples of the country, Darshan gives relief from diseases
देश के प्रसिद्ध 5 सूर्य मंदिर
दर्शन करने से रोगों से मिलता है छुटकारा
रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना का विधान है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देने वाले देवता हैं. पौराणिक वेदों में सूर्य का उल्लेख विश्व की आत्मा और ईश्वर के नेत्र के तौर पर किया गया है. सूर्य की पूजा से जीवनशक्ति, मानसिक शांति, ऊर्जा और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि लोग उगते हुए सूर्य को देखना शुभ मानते हैं और सूर्य को अर्घ्य देते हैं. मान्यता यह भी है कि रविवार के दिन सूर्य देव का व्रत रखने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. रामायण में भी इस बात का जिक्र है कि भगवान राम ने लंका के लिए सेतु निर्माण से पहले सूर्य देव की आराधना की थी.
भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब भी सूर्य की उपासना करके ही कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी. सूर्य को शक्ति का स्त्रोत माना गया है. भारत में सूर्य देव के कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है. इन मंदिरों में दर्शन करने से लोगों को रोग से मुक्ति मिलती है. आइए आपको बताते हैं ऐसे ही 5 सूर्य मंदिरों के बारे में जहां दशर्न करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है और वह रोग मुक्त होते हैं.
कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा
कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के ओड़िशा के पुरी जिले में समुद्र तट पर पुरी शहर से लगभग 35 किलोमीटर (22 मील) उत्तर पूर्व में कोणार्क में एक 13 वीं शताब्दी सीई (वर्ष 1250) सूर्य मंदिर है। मंदिर का श्रेय पूर्वी गंगवंश के राजा प्रथम नरसिंह देव को दिया जाता है। सन् 1984 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है।
मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर
मोढेरा सूर्य मंदिर गुजरात के मेहसाना जिले के “मोढेरा” नामक गाँव में पुष्पावती नदी के किनारे प्रतिष्ठित है। यह स्थान पाटन से ३० किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यह सूर्य मंदिर भारतवर्ष में विलक्षण स्थापत्य एवम् शिल्प-कला का बेजोड़ उदाहरण है। सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा सन् १०२६-१०२७ ई॰ में इस मंदिर का निर्माण किया गया था। वर्तमान समय में यह भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है और इस मंदिर में पूजा करना निषिद्ध है।
इस मंदिर परिसर के मुख्य तीन भाग हैं - गूढ़मण्डप (मुख्य मंदिर), सभामण्डप तथा कुण्ड (जलाशय)। इसके मण्डपों के बाहरी भाग तथा स्तम्भों पर अत्यन्त सूक्ष्म नक्काशी की गयी है। कुण्ड में सबसे नीचे तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हैं तथा कुछ छोटे-छोटे मंदिर भी हैं
3-मार्तंड सूर्य मंदिर
मार्तंड सूर्य मंदिर भारत के जम्मू और कश्मीर प्रदेश के अनंतनाग ज़िले के मट्टन नगर के समीप स्थित 8वीं शताब्दी में ललितादित्य मुक्तपीड के राजकाल में बना एक हिन्दू मन्दिर है। यह सूर्य देवता के मार्तंड रूप को समर्पित है। इसे 15वीं शताब्दी में उस समय कश्मीर घाटी पर सत्ता करे हुए सिकंदर शाह मीरी द्वारा भारी क्षति पहुँचाई गई और इस समय यह खण्डरावस्था में है।
4-बेलाउर सूर्य मंदिर
बेलाउर सूर्य मंदिर बिहार के भोजपुर जिले के बेलाउर गाँव के पश्चिमी एवं दक्षिणी छोर पर अवस्थित एक प्राचीन सूर्य मन्दिर है। इसका निर्माण राजा सूबा ने करवाया था। बाद मे बेलाउर गाँव में कुल ५२ पोखरा (तालाब) का निर्माण कराने वाले राजा सूबा को 'राजा बावन सूब' के नाम से पुकारा जाने लगा। राजा द्वारा बनवाए ५२ पोखरों मे एक पोखर के मध्य में यह सूर्य मन्दिर स्थित है।
यहाँ छठ महापर्व के दौरान प्रति वर्ष एक लाख से अधिक श्रद्धालु आते हैं जिनमे उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के श्रद्धालु भी होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सच्चे मन से इस स्थान पर छठ व्रत करने वालों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती है तथा कई रोग-व्याधियाँ से भी मुक्ति मिलती है।
औंगारी सूर्य मंदिर, नालंदा
औंगारी सूर्य मन्दिर का निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया गया था। यह मन्दिर बिहार के नालन्दा जिले के औंगारी नामक स्थान पर स्थित है। एक प्रसिद्ध तालाब के तट पर स्थित यह सूर्य मन्दिर बिहार की कला एवं संस्कृति का परिचायक है। इस मन्दिर की खास विशेषता यह है कि यहाँ मनौती पूर्ण होने की आशा मे श्रद्धालु विशेष मुद्रा में भगवान सूर्य को अर्ध्य देते हैं। यह िबहार राज्य के नालंदा जिले के एकंगरसराय प्रखंड में स्थित है। यहाँ बिहारशरीफ ( नालंदा जिले का मुख्यालय) से३० किमी० सड़क मार्ग द्वारा तथा एकंगरसराय से ०५ किमी सड़क मार्ग द्वारा जाया जा सकता है। इस मंदिर की गर्भ गृह पश्चिममुखी है,जो देश के अन्य सूर्य मंदिरों से इसे विशिष्ट बनाता है।
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